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डॉक्टर को बनाया जेल अधीक्षक दूसरे ने कहा- मुझे भी बनाओ

रांची : सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक डॉ राजकुमार प्रसाद को चाईबासा जेल का सुपरिटेंडेंट बना दिया है. जेल में बंद कैदियों के इलाज के लिए सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति गृह विभाग के अधीन की थी. वह लंबे समय तक जमशेदपुर की घाघीडीह जेल में चिकित्सक के रूप में पदस्थापित थे. पिछले साल उन्होंने […]

रांची : सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक डॉ राजकुमार प्रसाद को चाईबासा जेल का सुपरिटेंडेंट बना दिया है. जेल में बंद कैदियों के इलाज के लिए सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति गृह विभाग के अधीन की थी. वह लंबे समय तक जमशेदपुर की घाघीडीह जेल में चिकित्सक के रूप में पदस्थापित थे. पिछले साल उन्होंने सरकार को इसके लिए आवेदन दिया था. उनके आवेदन पर अधिकारियों ने आपत्ति भी की थी. पर सरकार ने आपत्तियों को नजर अंदाज करते हुए उन्हें चाईबासा जेल का सुपरिटेंडेंट नियुक्त करने संबंधी आदेश जारी कर दिया.

इधर, देवघर जेल में पदस्थापित चिकित्सक डॉ राजमणि प्रसाद ने भी जेल सुपरिटेंडेंट बनाने की मांग सरकार से की है. उनका कहना है कि वह भी डायरेक्टर इन चीफ के वेतनमान में प्रोन्नत हो चुके हैं और डॉ राजकुमार प्रसाद से सीनियर हैं. इसलिए उन्हें भी जेल सुपरिटेंडेंट के पद पर पदस्थापित किया जाये.
अब तबादले का भी आवेदन
डॉ राजकुमार प्रसाद की पत्नी ने पिछले दिनों गृह विभाग में आवेदन दिया है. सरकार से अनुरोध किया है कि राजकुमार प्रसाद को रांची या धनबाद जेल में सुपरिटेंडेंट के पद पर पदस्थापित किया जाये. उनकी पत्नी ने इसकी वजह राजकुमार प्रसाद का बीमार होना बताया है. कहा है कि डॉ राजकुमार प्रसाद को शुगर है, हाइपर टेंशन है. बीमार होने की स्थिति में उन्हें कई बार ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसलिए उनका पदस्थापन रांची या धनबाद में जेल सुपरिटेंडेंट के पद पर किया जाये.
सिविल सर्जन को मिल सकता है प्रभार
जेल मैनुअल के अनुसार, जेल में सुपरिटेंडेंट का पद खाली रहने की स्थिति में जिले के अफसरों को इस पद का प्रभार दिया जा सकता है. नियम के मुताबिक किसी चिकित्सक को तभी इस पद पर पदस्थापित किया जा सकता है, जब वह सिविल सर्जन के रैंक में हो. पर राजकुमार प्रसाद अभी सिविल सर्जन रैंक में नहीं हैं.

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