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रांची : न ट्रॉली मिली, न स्ट्रेचर, सास को कंधे पर उठा अल्ट्रासांउड कराने पहुंची बहू

रांची : रिम्स में इलाज कराने आये मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. मरीजों को गुहार लगाने के बाद भी न तो ट्रॉली मिलती है और न ही स्ट्रेचर. मजबूरन मरीज को उनके परिजन गोद में उठाकर या पीठ पर लादकर अस्पताल का चक्कर लगाते रहते हैं. शुक्रवार को एक […]

रांची : रिम्स में इलाज कराने आये मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. मरीजों को गुहार लगाने के बाद भी न तो ट्रॉली मिलती है और न ही स्ट्रेचर. मजबूरन मरीज को उनके परिजन गोद में उठाकर या पीठ पर लादकर अस्पताल का चक्कर लगाते रहते हैं.

शुक्रवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब हरमू मुक्ति धाम के पास स्थित कॉलोनी से आयी अंबिका देवी को अल्ट्रासाउंड के लिए परेशानी झेलनी पड़ी. अंबिका देवी मेडिसिन विभाग के बी-टू वार्ड में भरती हैं. डॉक्टर ने उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने का परामर्श दिया. काफी समय तक वे स्ट्रेचर व ट्रॉली के लिए वार्ड में कर्मचारियों से गुहार लगाती रहीं, लेकिन कोई साधन नहीं मिला. इस पर उनकी बहू उषा देवी उन्हें अपनी पीठ पर उठा कर फर्स्ट फ्लोर से नीचे अल्ट्रासाउंड सेंटर ले गयी. इस दौरान वह रिम्स के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के कमरे के सामने से गुजरी, लेकिन किसी की नजर उन पर नहीं पड़ी.
वार्ड से जांच कराने में अक्सर होती है परेशानी : रिम्स के वार्ड में भरती मरीजों को जांच के लिए अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है. वार्ड से अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन व एमआरआइ जांच के लिए ट्रॉली व स्ट्रेचर नहीं मिलता है. मरीज के परिजन गोद या पीठ पर उठा कर मरीज को जांच के लिए ले जाते है. कई बार वार्ड में शिफ्ट करते समय भी यह परेशानी मरीज व परिजनों को झेलनी पड़ती है.

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