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फील्ड में पुरातत्व संरक्षण के लिए सिर्फ एक आदमी
रांची : राज्य के महत्वपूर्ण धरोहरों तथा पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार के पास लोग नहीं हैं. उप निदेशक स्तर के एक अधिकारी के जिम्मे ही राज्य भर की पुरातात्विक स्थलों, स्मारकों व स्थलों को संरक्षित करने तथा इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी है. वैसे तो निदेशक पुरातत्व भी हैं, लेकिन फील्ड का […]
रांची : राज्य के महत्वपूर्ण धरोहरों तथा पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार के पास लोग नहीं हैं. उप निदेशक स्तर के एक अधिकारी के जिम्मे ही राज्य भर की पुरातात्विक स्थलों, स्मारकों व स्थलों को संरक्षित करने तथा इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी है.
वैसे तो निदेशक पुरातत्व भी हैं, लेकिन फील्ड का कार्य उप निदेशक ही करते हैं. पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकुद व युवा कार्य विभाग के तहत पुरातत्व संबंधी योजनाएं भी संचालित होती है. पर इस विभाग में पुरातत्व सबसे कम महत्व की चीज लगती है. पुरातत्व की समझ रखनेवाले उप निदेशक (पुरातत्व) डॉ अमिताभ कुमार अकेले हैं. इधर फील्ड में सहयोग करनेवाले चार तकनीकी सहायक का पद रिक्त है. वहीं तकनीकी अधिकारी के भी दो पद रिक्त हैं. क्लर्क के भी तीन पद रिक्त हैं. इस हालात में पुरातात्विक संरक्षण का काम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है.
राज्य गठन के बाद सरकार ने राज्य के सभी जिलों में सर्वे कर ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थलों, स्मारकों व अन्य धरोहर की पहचान की थी. इसके बाद ही 156 अवशेष/स्मारक संरक्षण व विकास के लिए संरक्षित किये गये हैं. शुरुआती चरण में इनमें से 12 के संरक्षण व विकास का काम केंद्र सरकार का भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग कर रहा है. वहीं 28 के संरक्षण का काम राज्य सरकार ने लिया है. इधर, राज्य सरकार सिर्फ एक संरक्षण कार्य (मलूटी मंदिरों का संरक्षण) आउटसोर्सिंग के जरिये कर रही है.
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