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ठेकेदारों को अभियंता पहुंचा रहे अतिरिक्त लाभ

रांची : राज्य के इंजीनियर बिना कारण बताये ही विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों की डीपीआर में विचलन कर ठेकेदारों को 10 से 25 प्रतिशत तक का अतिरिक्त लाभ पहुंचा रहे हैं. एजी की ऑडिट में इसका खुलासा हुआ है. ऑडिट के क्रम में संबंधित कार्यपालक अभियंताओं ने अपने पक्ष में ठेकेदारों को किये गये […]

रांची : राज्य के इंजीनियर बिना कारण बताये ही विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों की डीपीआर में विचलन कर ठेकेदारों को 10 से 25 प्रतिशत तक का अतिरिक्त लाभ पहुंचा रहे हैं. एजी की ऑडिट में इसका खुलासा हुआ है. ऑडिट के क्रम में संबंधित कार्यपालक अभियंताओं ने अपने पक्ष में ठेकेदारों को किये गये भुगतान को नियम सम्मत बताया है. हालांकि एजी ने पीडब्ल्यूडी कोड में निहित प्रावधानों के आलोक में इंजीनियरों के तर्क को अस्वीकार कर दिया है. साथ ही सरकार के वरीय अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
विशेष परिस्थिति में विचलन का अधिकार : एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी कोड में निर्माण कार्यों के दौरान विशेष परिस्थिति में 10 से 25 प्रतिशत तक के विचलन का अधिकार इंजीनियरों को दिया गया है.
कार्यपालक अभियंता को 10 प्रतिशत, अधीक्षण अभियंता को 15 प्रतिशत और मुख्य अभियंता को 25 प्रतिशत तक के विचलन का अधिकार है. इस अधिकार के साथ ही कोड में शर्तें भी निर्धारित की गयी हैं, ताकि इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सके. इसके तहत हर विचलन के लिए उचित कारण बताना है और सक्षम पदाधिकारी से इस पर सहमति लेनी है. निर्माण कार्य के दौरान इंजीनियरों द्वारा किसी भी आइटम में काम के लिए निर्धारित मात्रा से 25 प्रतिशत से अधिक विचलन नहीं किया जा सकता है. ऑडिट में पाया गया कि इंजीनियरों ने इस नियम का उल्लंघन कर कुछ आइटमों में निर्धारित मात्रा से 200 प्रतिशत तक अधिक का काम विचलन कर ठेकेदार से कराया है. इससे ठेकेदार को अनुचित लाभ मिलता है.
उदाहरण-1
को-ऑपरेटिव बिल्डिंग के निर्माण में 1.27 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया
एजी की जांच में पाया गया कि इंजीनियरों ने को-ऑपरेटिव बिल्डिंग के निर्माण में मेसर्स सिंघल इंटरप्राइजेज को 1.27 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया. इसके लिए इंजीनियरों ने डीपीआर में वर्णित काम को बिना कारण बताये ही बदला. निर्धारित मात्रा से अधिक काम करा कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाया. फाउंडेशन के सेंटरिंग और शटरिंग में निर्धारित मात्रा से 35.54 प्रतिशत अधिक काम कराया. 20-25 एमएम टोर स्टील रिइंफोर्समेंट में 134.59 प्रतिशत अधिक काम कराया. इस तरह इस काम में इंजीनियरों ने कुल 12 आइटम में डीपीआर के मुकाबले विचलन किया और ठेकेदार को लाभ पहुंचाया.
उदाहरण-2
एसएससी के भवन निर्माण में ठेकेदार को 1.32 करोड़ का अतिरिक्त लाभ
जांच में पाया गया कि राज्य कर्मचारी चयन आयोग के भवन निर्माण में भी इंजीनियरों ने ठेकेदार को 1.32 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया. इसके लिए इंजीनियरों ने बिना कारण बताये ही डीपीआर में विचलन किया और ठेकेदार से अतिरिक्त काम कराया. छज्जा( आरसीसी-20) में निर्धारित मात्रा से 163.83 प्रतिशत अधिक काम कराया. फॉल्स सिलिंग में 103.63 प्रतिशत अधिक काम कराया. निर्माण के दौरान कुल 23 आइटम में विचलन कर ठेकेदार को अतिरिक्त लाभ पहुंचाया.
उदाहरण-3
दुमका स्टेडियम निर्माण में ठेकेदार को 3.77 करोड़ का अतिरिक्त लाभ
दुमका जिला स्तरीय स्टेडियम निर्माण में भी इंजीनियरों ने अतिरिक्त काम करा कर ठेकेदार को 3.77 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया. जांच में पाया गया कि इंजीनियरों ने निर्धारित मात्रा से 114 प्रतिशत अधिक बालू का इस्तेमाल कराया. एकरारनामे के मुताबिक 2719.7 घनमीटर बालू का इस्तेमाल किया जाना था. पर 5830.24 घनमीटर बालू का इस्तेमाल किया गया. टोर स्टील रिइंफोर्समेंट का काम 217 प्रतिशत अधिक कराया. इस तरह कुल छह आइटम में विचलन कर इंजीनियरों ने ठेकेदार को अतिरिक्त लाभ पहुंचाया.
उदाहरण-4
आइटीआइ निर्माण में 3.39 लाख का अतिरिक्त लाभ
इंजीनियरों ने जरमुंडी आइटीआइ निर्माण मे ठेकेदार को 3.39 लाख रुपये का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया. जांच में पाया गया कि इंजीनियरों ने मेसर्स एसीएमइ कंस्ट्रक्शन से निर्धारित मात्रा से अधिक काम कराया. मिट्टी भरने का काम निर्धारित मात्रा से 44 प्रतिशत अधिक कराया. संगमरमर भी निर्धारित मात्रा से अधिक बिछवाया. एकरारनामा के अनुसार, 31.988 घनमीटर संगमरमर बिछाया जाना था. पर इंजीनियरों ने 49.747 घनमीटर संगमरमर बिछवाया जो निर्धारित मात्रा से 56 प्रतिशत अधिक था. बल्ब और पंखा के लिए 192 के बदले 430 प्वाइंट बनवाया. निर्माण कार्य में इंजीनियरों ने छह आइटम में विचलन कर ठेकेदार से अधिक काम कराया़

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