लोगों ने कहा
जहां लोगों ने घरों में सेप्टिक टैंक बनवा लिया है, वहां सीवरेज-ड्रेनेज बनवाने की जरूरत क्या थी
सड़क की मिट्टी-धूल घुस रही है घरों में, घर में रहना ही नहीं, बाहर टहलना भी हो गया है मुश्किल
रांची : वैसे तो सीवरेज-ड्रेनेज का काम लोगों की सहूलियत के लिए हो रहा है, लेकिन एजेंसी के काम करने के तरीके से लोग काफी नाराज हैं. लोग एजेंसी और सरकार को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि जिन मुहल्ले के लोगों ने अपने घरों में सेप्टिक टैंक बनवा लिया है, वहां सीवरेज-ड्रेनेज बनवाने की जरूरत क्या थी. वास्तव में यह सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नगर निगम की अदूरदर्शिता का नतीजा है, जिससे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
सर्वेश्वरी नगर के जितेंद्र कहते हैं कि इस योजना की कोई जरूरत नहीं थी. लोगों ने अपने घरों के साथ सेप्टिक टैंक भी बना लिया है. उनकी लाइफ सेट है. इसे नये मुहल्ले में करने की जरूरत थी. श्रीरामनगर के अनुज कुमार ने कहा कि काफी प्रयास के बाद पीसीसी सड़क और नाली बन गयी थी. उनकी जिंदगी अच्छी थी. मुहल्ला सुंदर लगता था, लेकिन इस काम से पूरी सड़क बरबाद हो गयी है. सात महीने से मुहल्ले के लोग धूल फांक रहे हैं. सुंदर नगर के पप्पू ने बताया कि मुहल्ले की स्थिति नारकीय हो गयी है.
गड्ढा खोद कर जैसे-तैसे भर दिया जाता है. पिस्का मोड़ तेल मिल गली के गोविंद ने कहा कि इस सड़क पर भारी ट्रैफिक है. लोगों का काफी आना-जाना होता है. पर इसे तोड़ कर छोड़ दिया गया. पूरे जतरा टांड़ इलाके को बरबाद कर दिया गया है. लोहा सिंह मार्ग के संदीप ने कहा कि सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है. धूल उड़ कर घरों में भी घुस रही हैं. रोज घर साफ करने में ही पूरा समय गुजर जाता है. इंदिरा नगर की उषा देवी ने कहा कि सड़क की मिट्टी-धूल घर में घुस रही है. घर में रहना ही नहीं बाहर टहलना भी मुश्किल हो गया है.
कहां-कहां होना है काम
पहले चरण में जोन-1 में काम हो रहा है. इसके तहत वार्ड नंबर-1 से वार्ड नंबर-5 और वार्ड नंबर-32 से वार्ड नंबर-35 में काम कराया जा रहा है. वार्ड नंबर-32 से वार्ड नंबर-35 में नौ महीने से काम चल रहा है. वहीं, वार्ड नंबर-1 से वार्ड नंबर-5 में भी कहीं-कहीं पर काम शुरू कराया गया है. इन वार्ड के सारे मुहल्ले व गलियों में यह काम किया जायेगा. अक्तूबर तक काम समाप्त करना है.
मॉर्निंग वॉकर्स परेशान, कई ने टहलना छोड़ा
लोहा सिंह मुख्य मार्ग, सर्वेश्वरी नगर मुख्यमार्ग, सुंदर नगर, तेल मिल गली, पिस्का मोड़ जतराटांड़ सहित अन्य इलाके में हर सुबह मॉर्निंग वॉकर्स निकलते थे. वे सड़क पर ही लंबी चाल चलते थे.
ज्यादातर महिलाएं और वृद्ध पुरुष ही इन सड़कों पर दिखते थे, लेकिन अब वे नहीं निकल रहे हैं. उनका टहलना छूट गया है. उन्हें टहलने के लिए किसी दूर मैदान या ऐसे जगहों को तलाश करनी पड़ रही है. सड़क पर धूल से वृद्धों को परेशानी हो रही है. वे कहते हैं कि टहलने के दौरान गाड़ियों के गुजरने पर केवल धूल उड़ता है. वे परेशान हो जाते हैं. ऐसे में कई लोगों ने तो टहलना भी छोड़ दिया है.
उड़ती हुई धूल से है अस्थमा का खतरा
फिजिशियन डॉक्टर राजेश अग्रवाल ने बताया कि धूल से वायु प्रदूषण होता है. यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. धूल अस्थमा रोग का बड़ा कारण है. इससे सांस की अन्य बीमारियां भी होती हैं. ऐसे में धूल से बच कर रहने की जरूरत है. यह संभव नहीं है कि सारे लोग मास्क लगा कर घूमें, पर यह लगाने से लोग बीमारियों से बच सकते हैं.
उन्होंने बताया कि जरूरी है कि सबसे पहले धूल की स्थिति को कम किया जाये. अगर लोगों के घरों में भी धूल घुस रहे हैं, तो यह ठीक नहीं है. अधिक समय तक यह स्थिति रहेगी, तो लोगों के स्वासथ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा.