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अडाणी पावर प्लांट प्रकरण की न्यायिक जांच हो : मरांडी

न्यायिक आयोग गठित कर इसमें हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को रखा जाये रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने सरकार से अडाणी पावर प्लांट के पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराने का आग्रह किया है. इसके लिए उन्होंने न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की है. साथ ही इसमें हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को रखने […]

न्यायिक आयोग गठित कर इसमें हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को रखा जाये
रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने सरकार से अडाणी पावर प्लांट के पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराने का आग्रह किया है. इसके लिए उन्होंने न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की है. साथ ही इसमें हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश को रखने को कहा हैै. उन्होंने कहा कि सरकार की एजेंसी से इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. श्री मरांडी ने उक्त बातें गुरुवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि अडाणी पावर लिमिटेड कंपनी ने राज्य सरकार को गोड्डा के परसपानी मौजा में 1600 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव दिया है. सरकार ने जमीन की दर भी कम कर दी है़ ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं उन्होंने कहा कि गोड्डा में पावर प्लांट खोलना झारखंड के लिए घाटे का सौदा है. 1600 मेगावाट पावर प्लांट के लिए प्रतिदिन करोड़ लीटर पानी की जरूरत होगी.
चीर नदी से पानी लेने के लिए सहमति बनी है. यह बरसाती नदी है. इसमें साल भर में मात्र एक माह ही पानी रहता है. वहीं दूसरी तरफ गोड्डा की 13 लाख की आबादी के लिए प्रतिदिन लगभग 30.5 लाख लीटर पानी की जरूरत है. ऐसे में सरकार लोगों के पानी की जरूरत को कैसे पूरा करेगी. जहां तक रोजगार देने की बात है. पावर प्लांट के नियम के तहत 1.5 मेगावाट पर एक व्यक्ति को नौकरी दी जा सकती है. ऐसे में सिर्फ 1150 लोगों को ही नौकरी मिल पायेगी. इसमें 72 प्रतिशत टेक्निकल मैनपावर की जरूरत होगी, जो गांव में नहीं मिलेंगे. शेष बचे 323 पदों पर विस्थापित होने वाले 1500 रैयतों को कैसे रखा जायेगा?
जनसुनवाई फरजी, एफआइआर वापस ले सरकार : श्री मरांडी ने कहा कि छह दिसंबर 2016 और इस वर्ष सात-आठ मार्च को हुई जनसुनवाई फरजी है. छह दिसंबर की जन सुनवाई में क्षेत्र के लोगों को भागीदार नहीं बनने दिया गया. विरोध करने वालों पर लाठी व आंसू गैस के गोले चलाये गये.
सीएम की संवेदना खत्म हो चुकी है : श्री मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की संवेदना खत्म हो चुकी है. बेटी की मौत मामले में न्याय मांगने गये पिता के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करना सरासर गलत है. अगर सीएम में संवेदना है, तो मामले की निष्पक्ष जांच करायें.

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