24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

निर्माण में गड़बड़ी, संचालन में विलंब

रांची: रांची सदर अस्पताल को वर्ष 2011 में ही बन कर शुरू हो जाना था, लेकिन अस्पताल अब भी अपूर्ण व बेकार है. पूर्व व वर्तमान के विभागीय मंत्रियों की लगातार घोषणा के बावजूद इसका संचालन शुरू नहीं हुआ. दो वर्ष पहले इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) मोड में संचालित करने का निर्णय हुआ, पर तत्कालीन […]

रांची: रांची सदर अस्पताल को वर्ष 2011 में ही बन कर शुरू हो जाना था, लेकिन अस्पताल अब भी अपूर्ण व बेकार है. पूर्व व वर्तमान के विभागीय मंत्रियों की लगातार घोषणा के बावजूद इसका संचालन शुरू नहीं हुआ. दो वर्ष पहले इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) मोड में संचालित करने का निर्णय हुआ, पर तत्कालीन विभागीय सचिव व मंत्री ने मई 2014 में इसकी निविदा ही रद्द कर दी.

इससे राज्य सरकार के 60 हजार डॉलर भी डूब गये, जो पार्टी चयन के लिए विश्व बैंक से संबद्ध इंटरनेशनल फिनांस कॉरपोरेशन (आइएफसी) को बतौर कंसलटेंसी फीस के रूप में दिये गये थे. बाद में पीपीपी मोड का विरोध भी होने से यह मामला टल गया. दुर्भाग्यवश इस अस्पताल के निर्माण में भी 36.44 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई थी. राज्य सरकार ने खुद टेंडर नहीं निकाला और काम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को मनोनयन के आधार पर दे दिया था. इसकी लागत तय की गयी थी 127.66 करोड़ रुपये. बाद में एनबीसीसी ने खुद टेंडर निकाला तथा यह काम विजेता कंस्ट्रक्शन को 107.82 करोड़ में दे दिया, जिससे सरकार को 19.84 करोड़ का नुकसान हुआ. बाद में भवन निर्माण विभाग ने अस्पताल की लागत 127.66 करोड़ से बढ़ा कर 144.26 करोड़ कर दी. इस तरह नुकसान बढ़ कर 36.44 करोड़ हो गया.

कंसल्टेंट को भी दी ज्यादा फीस
सरकार ने संकल्प जारी कर यह घोषित कर रखा था कि सरकार के किसी भी काम में कंसलटेंट रखने पर उसे संबंधित प्रोजेक्ट के पूर्ण लागत की 0.74 फीसदी कंसलटेंसी फीस ही देनी है. इधर, सदर अस्पताल के कंसलटेंट आर्क एंड डिजाइन को 0.74 फीसदी के बजाय 2.75 फीसदी की दर से फीस का भुगतान किया गया. यानी 1.20 करोड़ के बजाय 3.97 करोड़ रुपये कंसलटेंसी फीस दी गयी. सरकार को इस मद में भी 2.77 करोड़ का नुकसान हुआ. यह पूरा मामला प्रधान महालेखाकार ने पकड़ा था व इसकी निगरानी जांच की अनुशंसा की थी, पर यह मामला निगरानी को नहीं दिया गया.
पीपीपी मोड के लिए कब क्या हुआ
प्राइवेट पार्टनर के चयन के लिए वर्ल्ड बैंक से संबद्ध आइएफसी को कंसलटेंट बहाल किया गया
31 मई 2013 को टेंडर का ड्राफ्ट फाइनल
21 जून 2013 को प्री-बिड मीटिंग हुई
29 जनवरी 2014 को टेंडर की शर्तों को मंत्रिमंडल की मंजूरी Àनिविदा की अंतिम तिथि 10 मार्च तय हुई
10 मार्च को ही टेक्निकल बिड खुलना था, पर स्थगित À20 मार्च 2014 को निविदा खोली गयी
06 मई 2014 को टेक्निकल बिड खोल कर सफल निवेशकों को बताया गया
08 मई 2014 को फिनांशियल बिड खोले जाने की सूचना दी गयी
07 मई 2014 को ही निविदा खोला जाना स्थगित कर दिया गया
मामला टलता देख आइएफसी के निदेशक, साउथ एशिया सर्ज डिवोक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा
29 मई को आइएफसी के लोग बात करने रांची पहुंचे, पर इसी दिन निविदा रद्द कर दी गयी. मई 2014 के बाद से सरकार कहती रही है कि अस्पताल वह खुद चलायेगी.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
अब तक कुल लागत 144 करोड़ रुपये
निर्माण कंपनी एनबीसीसी
सहयोगी कंपनी विजेता कंस्ट्रक्शन
अस्पताल का निर्माण शुरू वर्ष 2008
भवन लगभग तैयार वर्ष 2011
अस्पताल भवन का क्षेत्रफल 7.15 लाख वर्ग फीट
परिसर का क्षेत्रफल 10.5 एकड़
कुल बेड की संख्या 530

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें