25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वन विभाग में हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना

रांची : वन विभाग में दैनिककर्मियों के मामले में हाइकोर्ट के आदेश आैर मुख्यमंत्री के निर्देशों का अनुपालन नहीं हो रहा है. वन अधिकारी आदेशों की अवहेलना करते जा रहे हैं. दैनिककर्मियों की सेवा को नियमित करने की प्रक्रिया भी शुरू नही की गयी है. हाइकोर्ट ने विभिन्न याचिकाअों व हस्तक्षेप याचिकाअों पर सुनवाई करते […]

रांची : वन विभाग में दैनिककर्मियों के मामले में हाइकोर्ट के आदेश आैर मुख्यमंत्री के निर्देशों का अनुपालन नहीं हो रहा है. वन अधिकारी आदेशों की अवहेलना करते जा रहे हैं. दैनिककर्मियों की सेवा को नियमित करने की प्रक्रिया भी शुरू नही की गयी है.

हाइकोर्ट ने विभिन्न याचिकाअों व हस्तक्षेप याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए 10 वर्षों से कार्यरत दैनिक कर्मियों की सेवा को समायोजित/नियमित करने संबंधी आदेश दिया है. हाइकोर्ट ने 18 अक्तूबर 2016 को याचिका संख्या 2404/2010 की सुनवाई करते हुए वन विभाग के सचिव व प्रधान मुख्य वन संरक्षक को छह माह के अंदर नियमितीकरण प्रक्रिया को पूरा कर लेने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक उसका अनुपालन शुरू नहीं किया गया है.

वर्ष 2017 में भी कई याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए नियमितीकरण से संबंधित आदेश देते हुए याचिकाअों को स्वीकृत किया गया है. वहीं दूसरी अोर लघु सिंचाई, जल संसाधन विभाग, भवन निर्माण विभाग, पेयजल व स्वच्छता विभाग, पथ निर्माण विभाग आदि द्वारा अपने दैनिक कर्मियों की सेवा को नियमित किया जा चुका है. झारखंड दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संघ के महामंत्री वीरेंद्र कुमार सिन्हा ने हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखा था. उक्त कार्यालयों से भी मुख्य सचिव व वन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया गया है. इसके बावजूद मामले का निष्पादन नहीं हो पा रहा है.

लागू है नियमितीकरण नियमावली
सुप्रीम कोर्ट के आदेश व गाइडलाइन निर्धारित करने के बाद झारखंड सरकार ने दैनिककर्मियों/संविदाकर्मियों की सेवा को नियमित करने से संबंधित 13 फरवरी 2015 को नियमितीकरण नियमावली (स्कीम) लागू की है, जिसमें कहा गया है कि 10 वर्षों से कार्य कर रहे दैनिककर्मी की सेवा स्थायी की जायेगी.
पीएमअो को भी है मामले की जानकारी
संघ द्वारा भेजे गये पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय ने तीन जनवरी 2017 को मुख्य सचिव को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा था. मुख्यमंत्री के अोएसडी ने 14 जनवरी को वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर विधिसम्मत कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही की गयी कार्रवाई से मुख्यमंत्री सचिवालय को अवगत कराने को कहा है.
25-30 वर्षों से हैं कार्यरत
झारखंड में वन विभाग ही एकमात्र वैसा विभाग होगा, जहां 30-32 वर्षों से लोग दैनिक कर्मी के रूप में कार्य कर रहे हैं. वर्ष 1981 के बाद से उनकी सेवा नियमित नहीं की गयी है. वन विभाग के बीट, सब बीट व विभिन्न प्रमंडलों में लगभग 500 दैनिककर्मी कार्यरत हैं. उन्हें न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से मानदेय भी नहीं दिया जाता है. वर्ष 1993 में सरकार ने संकल्प संख्या 5940/18.6.93 के माध्यम से दैनिक कर्मियों को रिक्त पड़े पदों पर समिति गठित कर समायोजन करने का निर्देश दिया, लेकिन वन अधिकारी मामले को लटकाते रहे आैर दैनिककर्मियों पर अत्याचार करते रहे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें