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रांची-बरकाकाना सेक्शन मार्च-2018 तक होगा पूरा

रांची : रांची (टाटीसिलवे)-कोडरमा लाइन के रांची-बरकाकाना सेक्शन का काम तेज गति से हो रहा है. कुछ ब्रिज को छोड़ ज्यादातर काम पूरा हो गया है. रेलवे सूत्रों के अनुसार रांची-बरकाकाना सेक्शन का काम मार्च 2018 तक पूरा कर लिया जायेगा. रांची से बरकाकाना व हजारीबाग होकर कोडरमा तक जानेवाली यह रेल लाइन रांची से […]

रांची : रांची (टाटीसिलवे)-कोडरमा लाइन के रांची-बरकाकाना सेक्शन का काम तेज गति से हो रहा है. कुछ ब्रिज को छोड़ ज्यादातर काम पूरा हो गया है. रेलवे सूत्रों के अनुसार रांची-बरकाकाना सेक्शन का काम मार्च 2018 तक पूरा कर लिया जायेगा. रांची से बरकाकाना व हजारीबाग होकर कोडरमा तक जानेवाली यह रेल लाइन रांची से 11 किमी दूर टाटीसिलवे स्टेशन से अलग होगी.

रांची, नामकुम व टाटीसिलवे के बाद मेसरा इसका पहला स्टेशन होगा. मेसरा रेलवे स्टेशन का करीब 75 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है. वहीं, अभी रांची-रामगढ़ सड़क मार्ग (एनएच-33) पर बीआइटी मोड़ से पहले रेल अंडर ब्रिज का काम चल रहा है, जहां से यह लाइन क्रॉस करेगी.

जुलाई 2005 तक पूरा हो जाना था यह काम : वर्ष 1999 में स्वीकृत रांची-कोडरमा सेक्शन का काम जुलाई 2005 तक पूरा हो जाना था. लेकिन फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने में ही सात साल लग गये. इसके बाद कोडरमा-हजारीबाग सेक्शन के लिए जनवरी-13, हजारीबाग-बरकाकाना सेक्शन के लिए मार्च-13 तथा बरकाकाना-रांची सेक्शन को पूरा करने के लिए मार्च-14 का समय निर्धारित किया गया, जो फेल हो गया. विलंब के कारण इस रेल परियोजना की लागत 491.19 करोड़ से बढ़ कर अब करीब 3021.00 करोड़ रुपये हो गयी है. केंद्र व राज्य सरकार को कुल खर्च का आधा-आधा वहन करना है.
यह होगा लाभ : हजारीबाग जिले में रेल नेटवर्क नहीं था. उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल का यह जिला रेल सुविधा मिलने पर तेजी से विकसित होगा. बरकाकाना से कोडरमा तक रेल सेवा शुरू होने से पहले यहां के लोगों के लिए आवागमन का एकमात्र साधन सड़क मार्ग था. रांची-कोडरमा लाइन के बन जाने से हजारीबाग, रांची व वाया कोडरमा दिल्ली सहित देश के उत्तरी व दक्षिणी भाग से जुड़ जायेगा. वहीं रांची से बिहार, यूपी सहित समस्त उत्तरी भाग की यात्रा में औसतन एक घंटे (करीब 60 किमी) की बचत होगी. रेलगाड़ियां रांची से बरकाकाना-हजारीबाग होते हुए कोडरमा चली जायेंगी.
ये हैं मौजूदा हालात : फिलहाल मुरी के बाद पश्चिम बंगाल के कई स्टेशनों से गुजरते हुए वाया बोकारो-गोमो कोडरमा व इससे आगे तक की यात्रा करनी पड़ती है. यह लाइन दिल्ली सहित अन्य शहरों के लिए लोहरदगा-टोरी मार्ग के अलावा दूसरा विकल्प होगी. रेलवे सूत्रों के अनुसार ओड़िशा-झारखंड से उत्तरी भारत के लिए जाने व यहां आने वाली माल गाड़ियों के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल होगा. इससे रांची-मुरी-बोकारो-गोमो-कोडरमा सेक्शन का ट्रैफिक दबाव बहुत कम हो जायेगा.
होगी सहूलियत
टाटीसिलवे स्टेशन से अलग होगी बरकाकाना व हजारीबाग होकर कोडरमा जानेवाली यह रेल लाइन
रांची, नामकुम व टाटीसिलवे के बाद मेसरा होगा पहला स्टेशन, कुछ ब्रिज को छोड़ ज्यादातर काम पूरा
रांची से बिहार, यूपी सहित समस्त उत्तरी भाग की यात्रा के दौरान औसतन एक घंटे की होगी बचत
रांची-कोडरमा लाइन
Àरेलवे : पूर्व-केंद्रीय (इस्ट-सेंट्रल रेलवे) Àस्वीकृति वर्ष : 1999 Àकुल लंबाई : 203 किमी Àसेक्शन में पुल : कुल 374 (सभी छोटे) Àरेल अोवर/अंडर ब्रिज : कुल 95 Àशुरुअाती लागत : 491.19 करोड़ Àविलंब से बढ़ी लागत : 3021.00 करोड़Àरांची-बरकाकाना सेक्शन : 66 किमी (निर्माणाधीन) Àबरकाकाना-हजारीबाग : 57 किमी (पूर्ण, दिसंबर 2016 से रेल परिचालन शुरू) Àहजारीबाग-कोडरमा : 80 किमी (पूर्ण, फरवरी 2015 से रेल परिचालन शुरू).

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