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डॉक्टरों को बताना होगा, तीन साल में क्या किया?

रांची : रिम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बननेवाले डॉक्टरों को यह बताना होगा कि संस्थान के लिए उनका योगदान क्या रहा है? तीन साल में उन्होंने कितने मरीजों को परामर्श दिया? सर्जन हैं, तो तीन साल में कितनी सर्जरी की? शिक्षण कार्य में अापने कितना समय दिया है. इसके अलावा संस्थान के लिए […]

रांची : रिम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बननेवाले डॉक्टरों को यह बताना होगा कि संस्थान के लिए उनका योगदान क्या रहा है? तीन साल में उन्होंने कितने मरीजों को परामर्श दिया? सर्जन हैं, तो तीन साल में कितनी सर्जरी की? शिक्षण कार्य में अापने कितना समय दिया है. इसके अलावा संस्थान के लिए अलग से क्या जिम्मेदारी निभायी है? डॉक्टरों को पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रबंधन को पूरी जानकारी देनी होगी.

पदोन्नति के समय प्रबंधन डॉक्टरों द्वारा दिये गये ब्योरे का आकलन करेगा और यही पदोन्नति का आधार बनेगा. जानकार बताते हैं कि प्रबंधन डॉक्टरों से ब्योरा इसलिए मांग रहा है कि बाद में वह यह नहीं कह सकें कि साक्षात्कार में उनके साथ भेदभाव बरता गया है.
निदेशक व चिकित्सकों के साथ हुई बैठक : रिम्स निदेशक डाॅ बीएल शेरवाल ने शुक्रवार को डॉक्टरों के साथ मिनी ऑडिटोरियम में बैठक की. इस दौरान डॉक्टरों को निमावली के 12 (3) में इंगित नियमों से अवगत कराया गया. निदेशक ने कहा कि नियमावली में एक साथ पदोन्नति का उल्लेख है, इसलिए सरकार व रिम्स से नियुक्त सभी चिकित्सकों को एक साथ पदोन्नति दी जायेगी. बैठक में सरकार से नियुक्त चिकित्सक व सरकार द्वारा नियुक्त चिकित्सकों में कई बार गहमागहमी का माहौल बना.

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