पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि वीर बुधू भगत ने ब्रिटिश हुकूमत से जल, जंगल व जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ी थी. हमें भी उन्हीं की तरह जल, जंगल व जमीन को बचाने के लिए आगे होना होगा. पद्मश्री सिमोन उरांव ने सभी को मिल जुल कर रहने की सलाह दी. कहा कि आबाद होना है, तो जमीन से लड़ो व बरबाद होना है, तो आदमी से लड़ो. उन्होंने कहा कि जमीन है, तो जान है. पानी है, तो जीवन है. बच्चे किताब से लड़ें. किताब से लड़ेंगे, तो वे बाद में घर-समाज व देश चलायेंगे. इससे पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर सहित अन्य लोगों ने वीर बुधू भगत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. जयंती समारोह की शुरउआत फगुवा उरांव, राम प्यार उरांव व मुन्ना पहान ने पूजा अर्चना कर की.
डॉ दिवाकर मिंज ने वीर बुधू भगत की जीवनी व अंगरेजी साम्राज्य के विरुद्ध उनके आंदोलन पर प्रकाश डाला. प्रमुख भोला उरांव ने स्मारक समिति के 14 सूत्री मांग पत्र को पढ़कर सुनाया. जिप सदस्य बबीता देवी, हेमलता उरांव, विमल कच्छप, प्रो राम किशोर भगत ने भी विचार रखे. स्वागत भाषण प्रो महेश भगत, संचालन अलफ्रेड मिंज व धन्यवाद ज्ञापन सत्यनारायण लकड़ा ने किया.
कार्यक्रम में वीर बुधू भगत की जीवनी को लेकर प्रखंडस्तरीय प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले स्कूली बच्चों को सम्मानित किया गया. मौके पर स्मारक समिति के अध्यक्ष शिवपूजन भगत, बीडीओ प्रवीण कुमार, सीओ जयवर्धन कुमार, दिलीप सिंह, मो मोजीबुल्लाह, भौवा उरांव, चुमनु उरांव, मघी उरांव, बंधु उरांव, महादेव उरांव, बुधराम उरांव, शंभु भगत, सोनी तबस्सुम, सतीश, चंदन गुप्ता, सफीक अंसारी, रामबालक ठाकुर, एतवा उरांव, सांगा पाड़हा राजा महादेव मुंडा, सोमरा तिर्की सहित अन्य मौजूद थे.