क्यों आये हैं, पूछने पर बताया कि राज्य में कुछ नया हो रहा है, देखने आये हैं. कहा कि बेटा मना कर रहा था, पर मन नहीं माना, एक पिकअप गाड़ी पर बैठ कर खेलगांव चौक तक आये और फिर वहां से पैदल पहुंचे. कहा : लोग मन हल्ला करत है, का जमिनिया लेकर चल जतई कोई, अरे टैक्स देतई, काम करतई और लड़कन सब के काम मिलतई. ई ठीक काम होत हई. 12.05 बजे वहां पहुंचे सुदामा रजक देर शाम तक वहां बैठे रहे.
Advertisement
लाठी के सहारे पैदल चले आये सुदामा, कहा ई बढ़िया काम होत हई, राज आगे बढ़तई
रांची: बहुप्रतीक्षित मोमेंटम झारखंड के गवाह बनने दूर-दूर से आये थे लोग. खेलगांव परिसर में गुरुवार शुरू हुए कार्यक्रम में. हालांकि, इसमें आमलोगों की इंट्री नहीं थी, बावजूद इसके बाहर में लोगों की भीड़ थी. सवारी वाहनों के कम चलने के बाद भी लोगों के उत्साह में कमी नहीं दिखी. कोकर तिरील बस्ती निवासी 65 […]
रांची: बहुप्रतीक्षित मोमेंटम झारखंड के गवाह बनने दूर-दूर से आये थे लोग. खेलगांव परिसर में गुरुवार शुरू हुए कार्यक्रम में. हालांकि, इसमें आमलोगों की इंट्री नहीं थी, बावजूद इसके बाहर में लोगों की भीड़ थी. सवारी वाहनों के कम चलने के बाद भी लोगों के उत्साह में कमी नहीं दिखी. कोकर तिरील बस्ती निवासी 65 वर्षीय सुदामा रजक लाठी के सहारे वहां पहुंचे थे.
खाना मिला, टूट पड़े : खाना का पैकेट देखते ही ड्यूटी पर तैनात जवानों में हलचल मच गयी. जिसके जहां मौका मिला, वहीं पैकेट खोल कर खाने बैठ गया. पूछने पर एक जवान ने कहा दो दिन बहुत टफ है, जो मिल रहा खा लेना है.
क्या अंकल अपनी बेटी को भी ऐसे ही बोलेंगे : व्यवस्था संभालने में एनसीसी के कैडेट भी लगे थे. गेट नंबर एक के सामने सड़क किनारे कुछ लोगों ने मोटरसाइकिल लगा दी. वहां तैनात एनसीसी की दो कैडेटों (बच्चियां) ने उनसे आग्रह किया कि वो सड़क किनारे से गाड़ी हटा लें, पर वो नहीं माने. एक ने कहा हम विधायक प्रतिनिधि हैं, तो दूसरे ने कहा हम नहीं हटायेंगे. इस पर कैडेटों ने कहा : क्या अंकल जब आप सब ही ऐसे निकल गये तो दूसरे को क्या सिखायेंगे. अपनी बेटियों को भी ऐसे ही बोलते हैं क्या? पर वो सज्जन बिना गाड़ी हटाये चले गये.
हुजूर, अंदर सब है, बाहर तो कुछ मिलने दें : बाहर इधर-उधर भटक रहे लोगों की भीड़ जगह-जगह चाय, गन्ने का रस, आइसक्रीम, फल और चना बेचने वालों के पास जमी हुई थी. उनको जब पुलिसवाले भगाते थे, तो वो भाग जाते थे, फिर लौट आते थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने पुलिस से कहा : हुजूर, अंदर तो सब है, बाहर तो इन्हीं का सहारा है, कुछ तो मिलने दें.
पास के जुगाड़ में लगे रहे : पास नहीं होने के कारण घुसने से वंचित रह गये कुछ लोगों ने जुगाड़ से अंदर घुसने की पूरी कोशिश की, पर सफल नहीं हो पाये. कुछ ने बड़े अधिकारी का हवाला दिया, तो कुछ ने खुद को बड़ा आदमी बताया, पर बात नहीं बनी.जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया, युवाओं की भीड़ वहां बढ़ती गयी. सबमें उत्साह था. इटकी से आये सरोज का कहना था कि इससे राज्य में कुछ तो फायदा होगा. रोजगार के अवसर मिलेंगे.
बड़े लोग आये हैं, मेरे बेटे का कोई तो इलाज करा दे
नामकुम जोरार बस्ती का चंदन पंडित अपने छोटे से बच्चे व पत्नी के साथ वहां पहुंचा था. क्यों आये हो पूछने पर बताया कि चंदन ने बताया कि बेटे को जन्म से ही असाध्य बीमारी है, उसके पास पैसे नहीं है कि बेटे का इलाज करा सके. सांसद से लेकर हर द्वार घूम चुका है, पर आज तक न तो उसके बेटे का इलाज हुअा और न ही उसको कोई सहायता मिली. यहां क्यों आये हो? पूछने पर बताया कि यहां बड़े-बड़े लोग आये हैं, शायद किसी की नजर उस पर पड़ जाये और उसके बच्चे का इलाज हो जा जाये. चंदन भी देर शाम तक वहां अपने बच्चे को लेकर बैठा रहा कि कोई उसकी बात सुन लगे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement