वर्ष 2006-07 व 2007-08 में बोकारो जिले में शराब की बंदोबस्ती नहीं हो सकी थी. तत्कालीन सरकार की नीतियों के तहत शराब के खुदरा और थोक व्यवसाय के लिए पूरे जिले की बंदोबस्ती की जाती थी. बंदोबस्ती नहीं होने की वजह से उत्पाद विभाग ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से जिले में शराब की दुकानों का संचालन स्वयं किया था. इस दौरान सरकार को शराब से मिलने वाले राजस्व का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.
वर्ष 2005-06 में बोकारो जिले में शराब की बंदोबस्ती निजी क्षेत्र के लोगों को दी गयी थी. तब देसी शराब दुकानों से 3.22 करोड़ रुपये और विदेशी शराब दुकानों से 10.91 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था. कुल 14.13 करोड़ रुपये शराब से मिलनेवाला राजस्व था.
2006-07 में बंदोबस्ती नहीं होने के कारण सरकार ने संचालन शुरू किया, तब राजस्व आधे से भी कम हो गया. वर्ष 2006-07 में राजस्व गिर कर 5.44 करोड़ रुपये रह गया. उस साल देसी शराब दुकानों से 1.21 करोड़ और विदेशी शराब दुकानों से 4.23 करोड़ रुपये ही मिले. इसी तरह 2007-08 में भी सरकार ने ही संचालन किया था. उस साल बोकारो जिले में शराब से 5.86 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. देसी शराब का राजस्व घट कर 41.99 लाख रुपये पहुंच गया.
वहीं, विदेशी शराब दुकानों से 5.44 करोड़ रुपये आये. राज्य सरकार के पास शराब के कारोबार के संचालन के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना या मानव बल नहीं है. उत्पाद विभाग को राजस्व क्षति का प्रमुख कारण उत्पाद कर्मियों की कमी रही है. उत्पाद विभाग में स्वीकृत बल का केवल 23.85 प्रतिशत ही कार्यरत है. राज्य में उत्पाद पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कुल स्वीकृत संख्या 1048 के विरुद्ध केवल 250 हैं. राज्य गठन के बाद अब तक कभी भी उत्पाद विभाग में सिपाहियों से लेकर अधिकारियों तक का स्वीकृत बल पूरा नहीं हो सका. ऐसे में शराब के खुदरा व्यवसाय के लिए मानव बल का इंतजाम करना सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं साबित होगा.