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‘आदिवासी जीवन-जगत की बारह कहानियां, एक नाटिका’ का लोकार्पण आर्थिक-सांस्कृतिक रूप से आदिवासी कमजोर नहीं

रांची: समर शेष है, मिशन झारखंड व रेड जोन जैसे उपन्यासों के लेखक विनोद कुमार का कहानी संकलन ‘आदिवासी जीवन-जगत की बारह कहानियां, एक नाटिका’ का लोकार्पण विकास मैत्री सभागार में हुआ़ वरिष्ठ साहित्यकार विद्याभूषण, अश्विनी कुमार पंकज व ग्लैडसन डुंगडुंग ने इसका लोकार्पण किया़. इस अवसर पर ई-पत्रिका साथी जोहार डॉट कॉम (saathijohaar.com) का […]

रांची: समर शेष है, मिशन झारखंड व रेड जोन जैसे उपन्यासों के लेखक विनोद कुमार का कहानी संकलन ‘आदिवासी जीवन-जगत की बारह कहानियां, एक नाटिका’ का लोकार्पण विकास मैत्री सभागार में हुआ़ वरिष्ठ साहित्यकार विद्याभूषण, अश्विनी कुमार पंकज व ग्लैडसन डुंगडुंग ने इसका लोकार्पण किया़.
इस अवसर पर ई-पत्रिका साथी जोहार डॉट कॉम (saathijohaar.com) का भी लोकार्पण किया गया़ इस अवसर पर लेखक विनोद कुमार ने कहा कि कहानी संकलन पूरी तरह आदिवासी जीवन पर केंद्रित है़ इन्हें 15 वर्षों के अंतराल में आदिवासी मूल्यों को आत्मसात करते हुए लिखा गया है़.
आदिवासी समाज न सांस्कृतिक रूप से विपन्न है और न ही आर्थिक रूप से़ यह संकलन आदिवासी समाज के विभिन्न आयामों को सामने लाता है़ यदि इनमें भीषण विपन्नता, नैराश्य और अंधविश्वास के अश्क तलाशेंगे, तो नहीं मिलेगा़ ये कहानियां जीवन को संपूर्णता से स्वीकार करने की हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करते आदिवासी समाज की जिजीविषा की हैं. पतनशील पूंजीवादी समाज के जीवन मूल्यों के बरक्स मजबूती से खड़े श्रमशील आदिवासी समाज के उदात्त जीवन मूल्यों की हैं, जिन्हें दुर्भाग्य से हम पिछड़ा समाज मानते है़ं.
लोकतंत्र का चौथा खंभा नहीं रही मीडिया
एक्टिविस्ट ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि झारखंड में मीडिया अब लोकतंत्र का चौथा खंभा नहीं रह गयी. एक व्यावसायिक उपक्रम बन गया है़ सरकार व कारपोरेट घराने इसे एक खास दिशा में ले जा रहे है़ं विनोद कुमार ने कहा कि अाज जब वैकल्पिक मीडिया की बात हो रही है, तब तकनीक ने इसके लिए अवसर दिया है़.
144 पृष्ठ, मूल्य 150 रुपये
अनुज्ञा बुक्स द्वारा प्रकाशित 144 पृष्ठ की इस कहानी संकलन का मूल्य 150 रुपये रखा गया है़ इसमें एक दुनिया अलग सी, काठ चाहिए, भगिनी, हम भी हिंदू, चांदनी रातें, भूरी आंखें, करकी, एक थी एनी, नियोमगिरी राजा, टीस, मोर व हूल कहानियां और एक नाटिका बुधनी शामिल है़ं कार्यक्रम में फादर पीटर पॉल, वॉल्टर भेंगरा ‘तरुण’, प्रवीर पीटर, गिरिधारी राम गौंझू, वंदना टेट, प्रवीर व अन्य मौजूद थे़

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