उन्होंने मानव प्राणी के चार विषय शरीर, मन, बुद्धि तथा आत्मा के परस्पर एक-दूसरे से सही अनुपात में मिले होने तथा सर्व सहमति पर प्रकाश डाला. पंडित दीनदयाल के दर्शन पर चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक परिदृश्य में सांस्कृतिक महत्ता का अपना स्थान है. समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का उत्थान परम आवश्यक है.
रविशंकर ने राजनैतिक परिस्थितियों में राष्ट्रवादी विचारधारा तथा राष्ट्र की एकता-अखंडता व स्वतंत्रता-समानता को सर्वोपरि बताया. सिद्धांतहीन राजनीति की निंदा की. विशिष्ट अतिथि प्रदीप वर्मा ने पंडित दीनदयाल के जन्म से मृत्यु तक के अविस्मरणीय तथ्यों पर चर्चा की. मौके पर शंकर प्रसाद साहू, डॉ अमर, डॉ रश्मि, सुबोध कुमार गुड्डू, अमित चरण, मनीष कुमार, जैलेंद्र कुमार, रामचंद्र बैठा, रवींद्र तिवारी, आदित्य, अमरदीप यादव, देवेंद्र स्वामी, आरती सिंह, मुकेश नंदन, अमित सिन्हा, राजन साहू, अशोक बड़ाइक, चितरंजन, पवन, अनिता वर्मा, गोपाल लोहिया सहित अन्य उपस्थित थे.