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राजधानी के अस्पतालों में रोज करीब 250 मरीज कराते हैं डायलिसिस

राज्य में किडनी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रोजाना राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में करीब 250 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है. मरीजों का कुल आंकड़ा राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और राजधानी के विभिन्न निजी अस्पतालों से लिया गया […]

राज्य में किडनी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रोजाना राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में करीब 250 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है. मरीजों का कुल आंकड़ा राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और राजधानी के विभिन्न निजी अस्पतालों से लिया गया है.
रांची: विशेषज्ञों की राय है कि किडनी खराब होने की 50 प्रतिशत वजह डायबिटीज (मधुमेह) होती है. जबकि 20 प्रतिशत लोगों की किडनी ब्लड प्रेशर और 30 फीसदी लोगों की किडनी अन्य कारणों से खराब होती है. झारखंड में भी किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण डायबिटीज को ही माना जा रहा है.

राज्य में करीब 15 फीसदी शहरी लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में करीब पांच फीसदी लोग डायबिटीज की चपेट में हैं. इधर, राज्य में किडनी के मरीजों की संख्या की अधिक है, जबकि इसके डाॅक्टर काफी कम हैं. राज्य में सिर्फ 15 नेफ्रोलॉजिस्ट है, जो बड़े जिला मुख्यालयों में ही सेवा दे रहे हैं. राजधानी में 10 नेफ्रोलॉजिस्ट हैं. छोटे जिलों में किडनी विशेषज्ञाें की कमी होने के कारण मरीज अंतिम अवस्था में राजधानी पहुंच पाते हैं. यहां किडनी के मरीजों को डायलिसिस और इलाज के नाम पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. डायलिसिस कई चरणों में होता है, जिसकी वजह से इलाज का खर्च और मरीज की शारीरिक पीड़ा दोनों बढ़ जाती है. अगर समस्या विकट हो और किडनी प्रत्यारोपण की नौबत आ जाये, तो सामान्य परिवार का घर-जमीन बिकने की नौबत आ जाती है.
डायलिसिस के लिए भी लगानी पड़ती है लाइन
राजधानी के अस्पतालों में डायलिसिस कराने के लिए आये मरीजों को पहली बार डायलिसिस सेंटर में करीब 2500 रुपये देने पड़ते हैं. वहीं, दूसरी बार से मरीजों को 1500 रुपये तक का खर्च आता है. किडनी मरीजों की अधिकता के कारण राजधानी में 50 बेड के अस्पताल और पांच बेड के डायलिसिस सेंटर में नंबर लगाना पड़ता है. अस्पतालों एवं डायलिसिस सेंटर में प्रतिक्षा सूची बना कर रखा जाता है, जिसके हिसाब से मरीजों का नंबर आता है.
तनाव युक्त जीवन है इस बीमारी की वजह किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक वैद्य कहते हैं कि 50 प्रतिशत किडनी फेल्योर का मुख्य कारण डायबिटीज है. ज्यादातर मरीजों को जब तक इसका पता चलता है, तब तक देर हो चुकी होती है अौर मरीज डायलिसीस पर चला जाता है. हाई ब्लड प्रेशर और अन्य कारणों से भी लोग किडनी की बीमारी के शिकार हो रहे हैं. अाज के तनाव युक्त जीवन में लोगों को रहन-सहन और खान-पान में एहतियात बरतने की जरूरत है. डॉ वैद्य ने बताया कि डायलिसिस करानेवाले मरीजों में आधे को प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रक्रिया जटिल होने के कारण प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पाता है. किडनी प्रत्यारोपण के बाद भी मरीजों को हर माह 15 हजारु रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
500रुपये में डायलिसिस किया जाता है रिम्स में
राजधानी के निजी अस्पतालों अौर निजी डायलिसिस सेंटरों में मरीज को 1500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, रिम्स में मरीजों को 500 प्रति सिटिंग डायलिसिस का खर्च आता है. रिम्स में मेडिसिन विंग की देखरेख में डायलिसिस सेंटर चलता है, जहां प्रतिदिन 10 से 12 मरीजों को डायलिसिस किया जाता है. डायलिसिस का खर्च कम होने के कारण रिम्स में वेटिंग मिलता है.
पढ़ाई छोड़ डायबिटीज का इलाज करा रही 12 साल की छात्रा
राजधानी के डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ वीके ढ़ाढनिया ने बताया कि उनके पास 12 साल की एक लड़की डायबिटीज का इलाज कराने आती है. वह वर्तमान में अस्पताल में भरती है. वह राजधानी के एक प्रतिष्ठित स्कूल की छात्रा है, लेकिन फिलहाल, उसकी पढ़ाई भी छूट चुकी है. उसके माता-पिता को भी डायबिटीज था. इसके अलावा 21 साल की एक युवती कम उम्र से ही शुगर और ब्लड प्रेशर की चपेट में है. युवती का ब्लड प्रेशर 170/100 एवं शुगर लेवल 400 के करीब है.
डायबिटीज की राजधानी बन गया है भारत
पूरे विश्व में भारत ऐसा देश है, जहां डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के 2016 के आंकड़ों की मानें तो भारत में करीब सात करोड़ डायबिटीज के मरीज हैं. झारखंड की बात की जाये, तो शहर में डायबिटीज के करीब 15 फीसदी मरीज हैं. वहीं, ग्र्रामीण क्षेत्रों में तीन से पांच फीसदी लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं.
डॉ वीके ढ़ानढनिया, डायबिटीज रोग विशेषज्ञ
किडनी बचानी है, तो डायबिटज व ब्लड प्रेशर से बचें
अगर किडनी को स्वस्थ रखना है, लोगों को सबसे ज्यादा डायबिटीज से बचना चाहिए. साथ ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना चाहिए. शुगर लेवल नियंत्रित रखने से किडनी की समस्या से बचा जा सकता है. डायबिटीज से बचने के लिए व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए. जंक फूड व शीतल पेय पदार्थों से बचना चाहिए. पारंपरिक भोजन को जीवन में शामिल करना चाहिए.
डॉ विद्यापति, फिजिशियन, रिम्स
किडनी प्रत्यारोपण के लिए बनना चाहिए कानून
किडनी की बीमारी मुख्यत: डायबिटीज की वजह से ही हो रही है. साथ ही इसके अन्य कारण भी हैं हम जो भी भोजन ग्रहण कर रहे है, वह मिलावटी है, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. राज्य में किडनी प्रत्यारोपण के लिए कोई कानून नहीं है, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. राज्य सरकार को इसके लिए कदम उठाना चाहिए.
डॉ एके वैद्य, किडनी रोग विशेषज्ञ

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