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कानून से बाहर नहीं जा सकती सरकार
रांची : आदिवासी कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि सरकार के हाथ कानून में बंधे होते हैं. सरकार इससे बाहर जाकर काम नहीं कर सकती है. वन अधिकार कानून में केंद्र सरकार ने प्रावधान तय किये हैं. राज्य सरकार के पास उससे अलग जाने का अधिकार नहीं है. राज्य सरकार केवल उसका पालन कर […]
रांची : आदिवासी कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि सरकार के हाथ कानून में बंधे होते हैं. सरकार इससे बाहर जाकर काम नहीं कर सकती है. वन अधिकार कानून में केंद्र सरकार ने प्रावधान तय किये हैं.
राज्य सरकार के पास उससे अलग जाने का अधिकार नहीं है. राज्य सरकार केवल उसका पालन कर रही है. राज्य में एक लाख 30 हजार के आसपास आवेदन आये थे. उसमें करीब 65 हजार को वन पट्टा दे दिया गया है. शेष तय कानून के दायरे में नहीं आता होगा, इस कारण इन आवेदनों पर विचार नहीं किया गया. श्रीमती मरांडी बुधवार को मोरहाबादी स्थित जनजातीय शोध संस्थान ऑक्सफेम और एनएसवीके द्वारा आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद बोल रही थीं.
श्रीमती मरांडी ने कहा कि संस्थाओं को चाहिए कि वे वन में रहनेवालों को उनके अधिकार के बारे में बतायें. उनको बतायें कि किस परिस्थिति मेें उनको पट्टा दिया जा सकता है.
सरकार को सभी मामलों में दोषी नहीं बनाना चाहिए. बोकारो के ग्रामीण परमेश्वर बास्की ने कहा कि वन में रहनेवालों के पास जमीन का कागज नहीं है, लेकिन जाति प्रमाण पत्र मांगा जाता है. जाति बनाने के लिए खतियान मांगा जाता है. इससे वन में रहनेवालों को अधिकार नहीं मिल पाता है. 1952 का मतदाता सूची मांगा जाता है. यह ग्रामीणों के पास नहीं है.
इसमें अधिकारी सहयोग नहीं करते हैं. ग्राम सभा की बैठक में भी अधिकारी नहीं आते हैं. मौके पर ऑक्सफेम संस्था की रानू और शमिष्टा बोस तथा वन अधिकारी चंद्र मौली ने भी विचार रखे. कार्यशाला में पूरे राज्य से प्रतिनिधि आये हुए थे. अजय चौधरी ने वन अधिकारी की अद्यतन स्थिति के बारे में बताया.
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