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पुनासी जलाशय योजना को 35 साल बाद मिला फॉरेस्ट क्लीयरेंस
वन भूमि को लेकर केंद्र सरकार के साथ चल रहा विवाद खत्म रांची : पुनासी जलाशय योजना के रास्ते में आ रही वन भूमि को लेकर केंद्र सरकार के साथ चल रहा विवाद अब समाप्त हो गया है. योजना बनने के 35 साल बाद केंद्र से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिला है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने […]
वन भूमि को लेकर केंद्र सरकार के साथ चल रहा विवाद खत्म
रांची : पुनासी जलाशय योजना के रास्ते में आ रही वन भूमि को लेकर केंद्र सरकार के साथ चल रहा विवाद अब समाप्त हो गया है. योजना बनने के 35 साल बाद केंद्र से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिला है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पुनासी जलाशय योजना के पहले फेज के लिए राज्य सरकार को अनापत्ति प्रमाण पत्र सौंप दिया है. जल्द ही योजना के दूसरे फेज के लिए भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा. जल संसाधन विभाग ने तीन वर्ष में दशकों से अधूरी पड़ी पुनासी जलाशय योजना को पूरा करने का दावा किया है. विभाग ने अगले डेढ़ साल में स्लिप वे तैयार करने और फिर अगले छह माह में रिवर क्लोजर का काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया है.
60 हजार एकड़ में होगी सिंचाई :
पुनासी जलाशय योजना पूरी होने पर 38 हजार एकड़ खरीफ और 22 हजार एकड़ रबी फसल की खेती तक पानी पहुंचाने की योजना है. इसका लाभ देवघर जिला के देवघर, मोहनपुर व सारवा और दुमका जिला के सरैयाहाट प्रखंड के किसान ले सकेंगे. इसके अलावा योजना से क्षेत्र के उद्योगों को भी पानी दी जा सकेगी.
35 साल में आधी नहर भी नहीं बनी : विगत 35 सालों में आधी नहर भी नहीं बनायी जा सकी है. योजना के तहत मुख्य नहर की लंबाई 72 किमी और बांध की लंबाई 2.13 किलोमीटर है. अब तक नहर का कार्य 45 फीसदी और बांध का काम 75 प्रतिशत ही हुआ है. इसके अलावा योजना की तीन शाखा नहर भी है. शाखा नहर की लंबाई 62 किमी है. शाखा नहर और स्लिप वे पर कार्य नहीं किया जा सका है.
योजना की लागत 26 करोड़ से बढ़ कर 700 करोड़
1982 में तैयार की गयी पुनासी जलाशय योजना का कुल प्राक्कलन 26.09 करोड़ रुपये था. जमीन अधिग्रहण की धीमी रफ्तार के कारण मुख्य कार्य शुरू होने में 16 साल का समय लग गया.
योजना का मुख्य कार्य 1998 में आरंभ हुआ था. तब तक प्राक्कलन बढ़ कर 185.82 करोड़ हो गया था. वर्तमान में योजना की लागत बढ़ कर 700 करोड़ हो गयी है. विभाग द्वारा लागत बढ़ने का मुख्य कारण जमीन के मुआवजे में वृद्धि बतायी जा रही है. योजना में हुए विलंब की वजह से जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सका था. अब जमीन अधिग्रहण के नये कानून के मुताबिक मुआवजा राशि और भूखंड की कीमत, दोनों में काफी इजाफा हो गया है.
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