27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मिलने थे 70 अंक, रिजल्ट में दिया 47 अंक

रांची : झारखंड में तकनीकी शिक्षा व तकनीकी संस्थानों की हालत किसी से छुपी नहीं है. खास कर पॉलिटेक्निक संस्थानों की बदतर हालत की खबरें लगातार मिलती रहती है. दूसरी अोर विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका की जांच भी आंख बंद कर हो रही है. तीन मामले इसकी पुष्टि करते हैं. केके पॉलिटेक्निक धनबाद में सिविल […]

रांची : झारखंड में तकनीकी शिक्षा व तकनीकी संस्थानों की हालत किसी से छुपी नहीं है. खास कर पॉलिटेक्निक संस्थानों की बदतर हालत की खबरें लगातार मिलती रहती है. दूसरी अोर विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका की जांच भी आंख बंद कर हो रही है. तीन मामले इसकी पुष्टि करते हैं.
केके पॉलिटेक्निक धनबाद में सिविल इंजीनियरिंग के छात्र अभिमन्यु कुमार यादव ने अप्रैल 2016 में पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा दी थी. इस परीक्षा में इस्टेमेटिंग एंड कॉस्टिंग विषय में अभिमन्यु को 47 अंक मिला. संतुष्ट न होने तथा सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी मिलने पर अभिमन्यु ने देखा कि उस विषय में अंकों का कुल योग 70 होता है. जब रिजल्ट सुधारने के लिए अभिमन्यु राज्य तकनीकी शिक्षा पर्षद (एसबीटीइ) गया, तो उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया. आज तक एसबीटीइ ने उसके रिजल्ट में सुधार नहीं किया है.
उधर, राजकीय पॉलिटेक्निक, दुमका में मेकेनिकल इंजीनियरिंग (सत्र 2012-15) के एक छात्र रविकांत नायक को पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा में पावर इंजीनियरिंग विषय में कम अंक मिले. रविकांत ने भी सूचना का अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका की फोटो कॉपी निकलवायी. इसमें उसे 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न के लिए 20 के बदले नौ अंक दिये गये थे. वहीं एक सवाल का सही जवाब देने पर भी कोई अंक नहीं दिया गया था.
रविकांत को साल भर की भागदौड़ के बाद अंकों में सुधार कर मार्कशीट दी गयी. इसी सत्र की एक छात्रा को भी उसी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के लिए 16 के बदले आठ अंक दिये गये थे. चूंकि उस लड़की ने भागदौड़ नहीं किया, इसलिए उसके अंकों में वृद्धि नहीं हुई. ऐसे अनेक मामले हैं, जिससे यह साफ होता है कि परीक्षक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. पर किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती.
साल भर में सिस्टम पूरी तरह ठीक हो जायेगा
इस पूरे मामले में एसबीटीइ के सचिव शिव विलास साहू ने कहा कि उपरोक्त शिकायतें सही हैं. कुछ को मैंने ठीक भी करवाया है. नवंबर 2015 में एसबीटीइ ज्वाइन करने के बाद से मैं सिस्टम ठीक कर रहा हूं.
पहले परीक्षक एक दिन में दो सौ कॉपी (प्रति कॉपी 15 रुपये की दर से) चेक कर लेते थे. इसी से गड़बड़ी होती थी. बच्चे के साथ अन्याय न हो, इसके लिए मैंने चेक की जाने वाली कॉपियों की संख्या न्यूनतम 40 तथा अधिकतम 60 तय कर दी है. कॉपी चेक करने में हुई गड़बड़ी के लिए सीआइटी के एक प्रोफेसर पर कार्रवाई भी हुई है.
इसके अलावा बोर्ड मीटिंग में कॉपी के इवैल्यूशन कराने संबंधी प्रस्ताव तैयार हुआ है. यह अभी प्रक्रियाधीन है. इसके लागू हो जाने के बाद परीक्षा केंद्र से उत्तर पुस्तिका को स्कैन कर सीधे परीक्षक के पास भेज दिया जायेगा. बाद में अंक लेकर रिजल्ट तैयार होगा. कोई भी विद्यार्थी अपनी उत्तर पुस्तिका अॉनलाइन देख सकता है. यह काम वेंडर के जरिये होगा, जिसे गोपनीयता की शर्त का पालन करना होगा. वहीं सिर्फ अधिकृत व्यक्ति ही डाटा में फेरबदल कर सकेगा. सबकुछ होने में साल भर का वक्त लग सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें