रांची: पिछले पांच साल में लकड़ी से लोहा बेचने वालों ने 366.05 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी है. टैक्स चुरानेवालों की सूची में केंद्रीय लोक उपक्रम सीसीएल, सेल सहित 44 कंपनियां शामिल हैं. रांची की आइजन स्टेशनरी, इंडिया टिंबर और धनबाद के गृह शोभा ने तो विदेशों से करोड़ों का सामान मंगा कर बेचा […]
रांची: पिछले पांच साल में लकड़ी से लोहा बेचने वालों ने 366.05 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी है. टैक्स चुरानेवालों की सूची में केंद्रीय लोक उपक्रम सीसीएल, सेल सहित 44 कंपनियां शामिल हैं. रांची की आइजन स्टेशनरी, इंडिया टिंबर और धनबाद के गृह शोभा ने तो विदेशों से करोड़ों का सामान मंगा कर बेचा और शून्य टर्नओवर का रिटर्न दाखिल कर टैक्स की चोरी की.
विभागीय अधिकारियों ने असेसमेंट के दौरान इसे स्वीकार भी कर लिया. सीएजी की रिपोर्ट में इन व्यापारियों द्वारा टैक्स चोरी करने के तरीकों का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय लोक उपक्रम सीसीएल की कथारा और एनके एरिया कोलियरी ने उत्पादन छिपा कर टैक्स की चोरी की. इन कंपनियों द्वारा कोल इंडिया मुख्यालय में दिये गये लाभ-हानि के ब्योरे का मिलान वाणिज्य कर विभाग में दाखिल रिटर्न से किया गया. इससे इस बात की जानकारी मिली कि सीसीएल की इन इकाइयों ने 2011-13 तक की अवधि में 1022.84 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पादन को छिपाया और टैक्स की चोरी की. राज्य में लागू नियम के तहत सीसीएल की इन इकाइयों पर टैक्स और दंड के रूप में 137.77 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है.
अन्य कंपनियाें ने भी लगाया चूना : रांची में निबंधित इंडिया टिंबर ने 60.37 करोड़ का व्यापार छिपाते हुए शून्य टर्नओवर का रिटर्न दाखिल किया. सेंट्रल एक्साइज और कस्टम से मिले आंकड़ों से जानकारी मिली कि इस व्यापारी ने 2010-11 में 8.62 करोड रुपये मूल्य की ‘टीक’की लकड़ी विदेशों से मंगायी. इसी तरह 2011-12 में 19.26 करोड़ और 2012-13 में 32.49 करोड़ रुपये की टीक की लकड़ी विदेशों से मंगायी. पर शून्य टर्नओवर दिखा कर टैक्स की चोरी की. इसी तरह रांची सर्किल में निबंधित आइजन स्टेशनरी ने 18.48 करोड़ रुपये के सामान का आयात किया और शून्य टर्नओवर का रिटर्न दाखिल किया. इस संस्थान से टैक्स और दंड के रूप में 2.77 करोड़ रुपये की वसूली की. धनबाद के व्यापारिक संस्थान गृह शोभा ने भी विदेशों से 63.04 करोड़ रुपये मूल्य का आंतरिक साज सज्जा का सामान मंगाया. पर टैक्स के रूप में राज्य सरकार को कुछ नहीं दिया.
इस संस्थान पर टैक्स और दंड के रूप में 26.48 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है. सेंट्रल एक्साइज से मिले आंकड़ों के विश्लेषण से इस बात की जानकारी मिलती है कि जिंदल स्टील एंड पावर ने भी राज्य में दाखिल किये गये रिटर्न में उत्पादित सामग्रियों का मूल्य कम बताया और टैक्स की चोरी की. जिंदल ने 2011-12 में सेंट्रल एक्साइज के रिटर्न में टर्नओवर 475.27 करोड़ रुपये का उल्लेख किया, लेकिन राज्य सरकार के वाणिज्य कर विभाग में दाखिल रिटर्न में 321.36 करोड़ रुपये के टर्नओवर का उल्लेख किया. सीएजी ने इस कंपनी पर टैक्स और दंड के रूप में 48.20 करोड़ रुपये की देनदारी की गणना की है.
सेल ने टर्नओवर छिपाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय लोक उपक्रम ‘सेल’ ने भी गड़बड़ी की है. इंडियन माइंस ब्यूरो(आइबीएम) कोलकाता से इस लीजधारक द्वारा डिस्पैच किये गये लौह अयस्क की मात्रा और मूल्य की गणना के बाद पता चला कि सेल ने 2081.80 करोड़ रुपये मूल्य का टर्नओवर छिपाया. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ. इस कंपनी से टैक्स और दंड के रूप में 100.37 करोड़ रुपये की वसूली की जानी चाहिए. वाणिज्य कर अंचल पाकुड़ में निबंधित गीता इंफ्रा ने अपने रिटर्न में राज्य से बाहर स्टोन चिप्स आदि बेचे जाने का उल्लेख नहीं किया है. हालांकि डीआरएम, साउथ इस्टर्न रेलवे से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि गीता इंफ्रा ने 2011-12 में 9.08 करोड़ और 2012-13 में 8.32 करोड़ रुपये का व्यापार किया. इसके बावजूद अपने रिटर्न में टर्नओवर शून्य बताया. इस कंपनी पर टैक्स और दंड के रूप में 7.30 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है.