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अब्दुर्रज्जाक अंसारी ने दूसरों के विकास की सोची : राज्यपाल

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि महान व्यक्ति अपने कार्य, विचार व सेवा से लोगों के बीच अपनी अमिट छाप छोड़ जाते है़ ऐसी महान आत्मा समाज के उत्थान व विकास के लिए ही अपना सबकुछ न्योछावर कर देते है़ ऐसे ही व्यक्ति अब्दुर्रज्जाक अंसारी थे, जो समाज की अति पिछड़ी जाति का […]

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि महान व्यक्ति अपने कार्य, विचार व सेवा से लोगों के बीच अपनी अमिट छाप छोड़ जाते है़ ऐसी महान आत्मा समाज के उत्थान व विकास के लिए ही अपना सबकुछ न्योछावर कर देते है़
ऐसे ही व्यक्ति अब्दुर्रज्जाक अंसारी थे, जो समाज की अति पिछड़ी जाति का सदस्य रहते हुए भी समाज के हर तबके के उत्थान के लिए सक्रिय रहे़ राज्यपाल अब्दुर्रज्जाक अंसारी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आर्यभट्ट सभागार में आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थी़ं उन्होंने कहा कि अब्दुर्रज्जाक अंसारी का जन्म अत्यंत पिछड़ी जाति व गरीब परिवार में 24 जनवरी 1917 को उस समय हुआ, जब पूरी दुनिया प्रथम विश्वयुद्ध में लिप्त थी़ उस जमाने में उनके प्रयास से 17 स्कूलों की स्थापना की गयी. रोजगार के सृजन के लिये उन्होंने बुनकर समितियाें का गठन किया. बुनकरों द्वारा तैयार कपड़ों के विपणन के लिए एपेक्स सोसाइटी की स्थापना की़ उन्हीं की दूरदर्शिता का परिणाम है कि आज इरबा में क्यूरी अब्दुर्रजाक अंसारी कैंसर अस्पताल स्थापित है़
1946 में क्रिप्पस मिशन फॉर्मूला के तहत जब तत्कालीन छोटानागपुर में चुनाव हुआ, तो उनके प्रयत्न से मुसलिम लीग को यहां करारी हार मिली़ मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत का छोटानागपुर क्षेत्र में जम कर विरोध करनेवाले अग्रणी नेता के रूप में वह उभर कर आये़ इस दौरान राज्यपाल ने 24 जनवरी से 30 अप्रैल तक पूरे राज्य में आयोजित शताब्दी समारोह कार्यक्रमों का विधिवत उदघाटन व अब्दुर्रज्जाक अंसारी की जीवनी का लोकार्पण भी किया़
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि आज समाज टूटने की कगार पर है, पर अब्दुर्रज्जाक अंसारी समरसता के प्रतीक थे़ उन्होंने समाज को जोड़ कर रखने के प्रति अपनी निष्ठा दिखायी़ यह शताब्दी समारोह नहीं है, बल्कि एकता का प्रतीक है़ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्व अबदुर्रज्जाक अंसारी ने सामाजिक एकता के लिए योगदान दिया़
सामान्य परिवार से निकल पर उदाहरण प्रस्तुत किया़ गरीबों को रोजगार के लिए बुनकरों को संगठित करने, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे विषयों की चिंता की़ लोगों पर अमिट छाप छोड़ी. कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय में अब्दुर्रज्जाक अंसारी के नाम पर गोल्ड मेडल शुरू हो, इसके लिए प्रयास करेंगे़
वह उन्हें अपने बाल्यकाल से ही जानते थे़ रामायण की जितनी चौपाइयां अब्दुर्रज्जाक अंसारी जानते थे, उतना वह स्वयं भी नहीं जानते हैं. वे धर्मनिर्पेक्षता की प्रतिमूर्ति थे़ कार्यक्रम में अमरेश्वर सहाय, सईद अहमद अंसारी, अनवार अहमद अंसारी, प्रो शीन अख्तर, एसएस अख्तर, जावेद अख्तर, नसीम अहमद, जमील अख्तर, डॉ जमाल अख्तर, शहादत हुसैन, डॉ वीपी शरण, प्रो आरएस भट्ट, प्रो जीनत कौसर व बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे़

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