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टाटा पावर ने प्लांट लगाने से किया इनकार
सुनील चौधरी रांची : टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं होने के कारण तिरुलडीह में पावर प्लांट लगाने की परियोजना वापस ले ली है. अब वहां टाटा पावर की ओर से पावर प्लांट नहीं लगाया जायेगा. इसके साथ ही राज्य आठ हजार करोड़ रुपये के निवेश से भी वंचित […]
सुनील चौधरी
रांची : टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं होने के कारण तिरुलडीह में पावर प्लांट लगाने की परियोजना वापस ले ली है. अब वहां टाटा पावर की ओर से पावर प्लांट नहीं लगाया जायेगा.
इसके साथ ही राज्य आठ हजार करोड़ रुपये के निवेश से भी वंचित हो गया. 15 जनवरी 2017 को ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके श्रीवास्तव ने पावर प्लांट परियोजना की समीक्षा बैठक की थी. इसी दौरान टाटा पावर की ओर से एमओयू निरस्त करने का आग्रह किया गया.
बैठक के बाद कंपनी के प्रतिनिधियों की ओर से बताया गया कि सरायकेला-खरसावां में 1980 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव था, लेकिन कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं होने के कारण एमओयू निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. यह भी बताया गया कि उक्त प्लांट के लिए 461 एकड़ जमीन भी खरीद ली गयी है. इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने एमओयू निरस्त करने के बिंदु पर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
तीन हजार मेगावाट क्षमता का लगना था प्लांट : टाटा पावर कंपनी की ओर से वर्ष 2005 में तीन हजार मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट लगाने के लिए झारखंड सरकार के साथ एमओयू किया गया था.
कंपनी ने प्लांट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. 27 मार्च 2012 को टाटा पावर ने संशोधित एमओयू किया. पावर प्लांट की क्षमता घटाकर 1980 मेगावाट कर दी गयी. उस वक्त आठ हजार करोड़ रुपये निवेश होने की बात कही गयी थी. पांच हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने की बात कही गयी थी. टाटा पावर को तिरुलडीह पावर प्लांट के लिए तुबेद कोल ब्लॉक भी आवंटित किया गया था. कंपनी ने 461 एकड़ जमीन भी खरीद ली थी. फिर, टाटा पावर को सात अक्तूबर 2015 को एमओयू की वैधता 27 जुलाई 2018 तक बढ़ा दी. इसी दौरान वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर में कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द किया गया. इसमें टाटा पावर का भी कोल ब्लॉक आवंटन भी शामिल था.
टाटा पावर के सूत्रों ने बताया कि चूंकि कोल ब्लॉक ही नहीं था, तब पावर प्लांट के लिए ईंधन की व्यवस्था कैसे होती. यही वजह है कि पावर प्लांट के प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह करते हुए अक्तूबर 2016 में ही ऊर्जा विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया था.
ताकि राज्य सरकार जेएसएमडीसी या अन्य किसी कोल ब्लॉक से ईंधन की व्यवस्था कर दे, पर कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद कंपनी ने अंतिम रूप से पावर प्लांट का प्रस्ताव वापस लेने का फैसला किया. इस संबंध में टाटा पावर के चीफ अॉफ प्रोजेक्ट इंडिया के असीम ठकुराता से बात करने का प्रयास किया गया, पर वह फोन पर उपलब्ध नहीं थे.
अन्यत्र भेजे गये पदाधिकारी: टाटा पावर ने तिरुलडीह में गेस्ट हाउस व परियोजना कार्यालय का निर्माण कराया था. वहां 35 इंजीनियर पदस्थापित थे. नवंबर-दिसंबर में एक-एक कर सभी इंजीनियरों को अन्यत्र भेज दिया गया.
टाटा पावर ने एमओयू वापस लेने का आवेदन दिया है. अभी एमओयू निरस्त करने का आदेश जारी नहीं हुआ है. पर कोई यदि प्लांट नहीं लगाना चाहता है, तो इसमें सरकार क्या कर सकती है.
आरके श्रीवास्तव,अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग
ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में दी जानकारी
सरायकेला के तिरुलडीह में आठ हजार करोड़ की लागत से लगना था 1980 मेगावाट का प्लांट पांच हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मिलता रोजगार
कोल ब्लॉक आवंटन रद्द होने की वजह से कंपनी ने वापस लिया प्रस्ताव
27 जुलाई 18 तक थी एमओयू की वैधता
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