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डॉ एसके चौधरी को प्रशासनिक कार्यों से अलग करें

रांची: स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को पीत पत्र लिख कर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी को प्रशासनिक कार्यों से मुक्त करने को कहा है. पीत पत्र में मंत्री ने सांझा चूल्हा घोटाला सहित अन्य आरोपों की जांच रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है. स्वास्थ्य मंत्री […]

रांची: स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को पीत पत्र लिख कर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी को प्रशासनिक कार्यों से मुक्त करने को कहा है. पीत पत्र में मंत्री ने सांझा चूल्हा घोटाला सहित अन्य आरोपों की जांच रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है.
स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने पीत पत्र (पत्रांक 60-17.01.2017) में लिखा है कि प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक व्यस्तता के कारण रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी रिम्स का सही संचालन नहीं कर पा रहे हैं. रिम्स की व्यवस्था सुधारने के लिए अधीक्षक ने चार माह में कभी अस्पताल का निरीक्षण नहीं किया. साथ ही सांझा चूल्हा जैसे जनोपयोगी व्यवस्था में भी हुए घोटाले में उनकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. इन सभी कारणों से डॉ चौधरी को सभी प्रशासनिक कार्यों से मुक्त करते हुए सिर्फ रिम्स के संचालन, मरीजों की चिकित्सीय सुविधा, दवा, जांच, भोजन जैसे कार्यों का दायित्व सौंपा जाये. वहीं, तात्कालिक व्यवस्था के तहत प्रशासनिक कार्य के लिए रिम्स के किसी वरीय प्रोफेसर या चिकित्सक को अधिकृत किया जाये. मंत्री ने इस प्रस्ताव को रिम्स की जेनरल बॉडी मीटिंग में रखने को कहा है.
जांच रिपोर्ट से अधीक्षक की भूमिका पर उठे सवाल : मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि रिम्स में जून 2010 से सांझा चूल्हा नामक एक योजना चलायी जा रही थी. इसके तहत रिम्स में भरती मरीजों के परिजन को घंटे के हिसाब से कुछ पैसे लेकर गैस चूल्हा का इस्तेमाल करने दिया जाता था. इसमें गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर रिम्स निदेशक से इसकी जांच करने को कहा गया था. निदेशक ने एक कमेटी बना कर जांच करायी, जिसकी रिपोर्ट से डॉ चौधरी की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होता है. पत्र में मंत्री ने रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है.
योजना में राशि के बंदरबांट की आशंका जतायी : मंत्री ने अपने पत्र में इन आरोपों के अलावा इस बात का उल्लेख किया है कि सांझा चूल्हा जैसी अति महत्वपूर्ण योजना को बेहद हल्के व लापरवाही से लिया गया. मरीजों के साथ के लेन-देन, गैस की खरीद आदि पर भी ध्यान नहीं दिया गया. कोई रिकॉर्ड मेंटेन नहीं किया गया. उन्होंने कहा है कि अनुबंध पर कार्यरत सुरक्षा एजेंसी के गार्ड को इस पूरी योजना में बिना किसी तैयारी या लिखित आदेश के पूरी जवाबदेही देना एक सोची समझी योजना का हिस्सा है. मंत्री ने कहा है कि यह स्पष्ट रूप से वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है और संभव है कि इसमें बड़ी राशि का बंदरबांट हुआ हो. मंत्री ने कहा है कि रिम्स से पूर्व निदेशक व अधीक्षक भी इस लापरवाही के लिए जवाबदेह हैं, उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए, पर वर्तमान चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध नजर आ रही है.
छह वर्षों से रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक है डॉ चौधरी : पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि डॉ चौधरी कुछ अवधि को छोड़ कर विगत छह वर्षों से रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक हैं, एक वर्ष निदेशक भी रहे. चिकित्सा अधीक्षक का पहला काम होता है अस्पताल का प्रति दिन निरीक्षण कर कमियों को दूर कराना. ऐसे में सांझा चूल्हा जैसी जनोपयोगी योजना की इतने दिनों तक अधीक्षक द्वारा कोई खैर खबर नहीं लिया जाना, विश्वास के काबिल नहीं. मंत्री ने कहा है कि ऐसा तभी संभव है जब अपने पहले दायित्व अस्पताल के भ्रमण का काम अधीक्षक ने कभी नहीं किया हो. मंत्री ने कहा है कि रिम्स निदेशक के माध्यम से नौ अगस्त 2016 को चिकित्सा अधीक्षक को यह निर्देश दिलवाया गया था कि वो प्रति दिन दो बार सुबह-शाम नियमित रूप से रिम्स के वार्डों का निरीक्षण करें और कमियों से निदेशक को अवगत करायें. पर उक्त आदेश के चार माह बाद भी अधीक्षक ने निरीक्षण से संबंधित कोई जानकारी नहीं उपलब्ध करायी है. ऐसे में उनके द्वारा उपेक्षा बरते जाने या गड़बड़ी किये जाने से इनकार नहीं किया जा सकता.
क्या है रिपोर्ट में
1. सांझा चूल्हा योजना में खर्च के ब्योरे की मूल पंजी किसी सक्षम पदाधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं है. पंजी में पेज नंबर भी नहीं है तथा सुरक्षा गार्ड प्रणव कुमार के अलावा किसी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं.
2. तत्कालीन अधीक्षक डॉ मनोज कुमार राय व निदेशक डॉ एके महतो ने अपने बयान में कहा है कि उपाधीक्षक को रोकड़ पंजी की देख-रेख की जवाबदेही दी गयी थी.
3. वर्तमान चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी ने अपने बयान में बताया है कि उन्हें 18 जनवरी 2016 को प्रणव कुमार ने सांझा चूल्हा के चूल्हा, पाइप, रेगुलेटर आदि की मरम्मत के लिए सांझा चूल्हा के एसबीआइ के रिम्स स्थित शाखा के खाता नंबर 3129441292 से 20 हजार रुपये की निकासी के लिए आवेदन दिया था. उसे पैसे का भुगतान चेक नंबर 342901 के माध्यम से किया गया.
4. तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ कुमारी वसुंधरा ने अपने बयान में बताया कि पूर्व में वो सांझा चूल्हा के पंजी आदि का निरीक्षण करती थीं, पर डॉ एसके चौधरी ने अधीक्षक बनने के बाद उन्हें मौखिक रूप से कहा कि उनको निरीक्षण करने की जरूरत नहीं, अब यह काम खुद उनके (डॉ चौधरी) और सुरक्षा गार्ड प्रणव कुमार द्वारा देखा जायेगा. डॉ वसुंधरा के अनुसार इसके बाद उन्होंने निरीक्षण करना बंद कर दिया.
5. तत्कालीन रोकड़पाल जकरियस ज्योतिर्श कच्छप ने बयान दिया कि उनके सामने सांझा चूल्हा की राशि कभी नहीं लायी गयी. प्रणव कुमार को 20 हजार रुपये के भुगतान के पहले उन्होंने अधीक्षक व उपाधीक्षक का हस्ताक्षर ले लिया था.

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