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आदेश: पारा शिक्षकों के मामले में नहीं दिया संतोषजनक जवाब हाइकोर्ट ने केंद्रीय शिक्षा सचिव को तलब किया

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य में कार्यरत लगभग 84000 पारा शिक्षकों के सेवा नियमितिकरण को लेकर दायर विभिन्न याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की अोर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कड़ी नाराजगी जतायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने केंद्रीय शिक्षा सचिव […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य में कार्यरत लगभग 84000 पारा शिक्षकों के सेवा नियमितिकरण को लेकर दायर विभिन्न याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की अोर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कड़ी नाराजगी जतायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने केंद्रीय शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई के दाैरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया.

यदि शिक्षा सचिव स्वयं नहीं आ सकते हैं, तो मामले की जानकारी रखनेवाले उप सचिव स्तर के अधिकारी सुनवाई के दाैरान उपस्थित रहेंगे. उन्हें यह बताने का निर्देश दिया कि केंद्रीय योजना के तहत नियुक्त अस्थायी कर्मियों की सेवा नियमितिकरण के संबंध में केंद्र सरकार की क्या पॉलिसी है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि केंद्र ऐसी योजनाएं लागू करती है, तो उसे अस्थायी कर्मियों की सेवा केंद्र के अधीन ही स्थायी करने पर विचार करना चाहिए. खंडपीठ ने कहा कि सर्वशिक्षा अभियान योजना केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही है. इसके तहत राज्य में अस्थायी तौर पर बड़ी संख्या में पारा शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है.

हजारों पारा शिक्षक 10-12 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे है. पारा शिक्षकों के नियमितिकरण करने से राज्य सरकार पर करोड़ों रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा. इससे राज्य में होनेवाली अन्य नियुक्तियां प्रभावित हो सकती है. पारा शिक्षकों की सेवा नियमित करने के लिए केंद्र को शत प्रतिशत फंडिंग करनी चाहिए, ताकि राज्य सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़े. राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की हैं. केंद्रीय योजना होने के कारण शिक्षकों का समायोजन केंद्र सरकार को करना चाहिए. इसके लिए पॉलिसी बनायी जानी चाहिए थी. केंद्र सरकार के केंद्रीय विद्यालयों में ऐसे अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सीटें आरक्षित की जा सकती है.
इससे पहले केंद्र सरकार की अोर से दाखिल शपथ पत्र में कहा गया था कि पारा शिक्षकों के समायोजन व सेवा नियमितिकरण का मामला राज्य सरकार के दायरे में आता है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 मार्च की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रामावतार प्रजापति, सुनील कुमार यादव व अन्य की अोर से याचिकाएं दायर कर वर्षों से कम मानदेय पर कार्यरत पारा शिक्षकों की सेवा नियमित करने तथा सरकारी शिक्षकों की तरह समान वेतन देने की मांग की है.

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