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चल रही थी हेमंत के घर बैठक, तभी अनिल मुरमू के निधन की आयी सूचना सन्न रह गया राजनीतिक गलियारा, शोक में डूबे लोग

रांची : लिट्टीपाड़ा के विधायक अनिल मुरमू की मौत की खबर अचानक मंगलवार की शाम आयी़ निम्न रक्तचाप के कारण उनकी मौत हो गयी़ शाम को विपक्षी विधायकों की हेमंत सोरेन के घर बैठक चल रही थी़ सदन को लेकर रणनीति बनाने में नेता विचार मंथन कर रहे थे़ बैठक में श्री सोरेन सहित झामुमो […]

रांची : लिट्टीपाड़ा के विधायक अनिल मुरमू की मौत की खबर अचानक मंगलवार की शाम आयी़ निम्न रक्तचाप के कारण उनकी मौत हो गयी़ शाम को विपक्षी विधायकों की हेमंत सोरेन के घर बैठक चल रही थी़ सदन को लेकर रणनीति बनाने में नेता विचार मंथन कर रहे थे़ बैठक में श्री सोरेन सहित झामुमो के स्टीफन मरांडी, नलीन सोरेन, जोबा मांझी, कुणाल षाडंगी, दीपक बिरुआ सहित कई विधायक मौजूद थे़ झाविमो के प्रदीप यादव और कांग्रेस के बादल पत्रलेख भी बैठक में थे़ बैठक के दौरान ही अनिल मुरमू के निधन की खबर मिली़ खबर सुन कर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था़. विधायक सन्न थे़. हेमंत सोरेन, स्टीफन मरांडी, झामुमो नेता विनोद पांडेय, सुप्रीयो भट्टाचार्य, अभिषेक कुमार पिंटू सहित कई नेता सूचना लेने में जुट गये़ दुमका, लिट्टीपाड़ा के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात कर सूचना लेने में लग गये़ नेताओं को मायूसी हाथ लगी़ सभी नेता हतप्रभ थे़.
जुझारू साथी खो दिया : हेमंत सोरेन
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि हमने एक जुझारू साथी खाे दिया है़ उन्होंने झारखंड आंदोलन से लेकर राज्य गठन के बाद जनमुद्दों पर संघर्ष की ऐसी लकीर खींची की कोई उसे मिटा नहीं सकता है़ पार्टी के लिए ऐसे कर्मठ व्यक्ति का जाना अपूरणीय क्षति है़ आनेवाले समय में इसकी भरपाई नहीं हो सकती है़ इस दु:ख की घड़ी में पूरी पार्टी मर्माहत है और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है़.
कर्मठ और जनता के हमदर्द थे अनिल : शिबू
झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने कहा कि अनिल मुरमू झारखंड के सच्चे सिपाही थे़ झारखंड की मिट्टी और अस्मिता के लिए लड़ते रहे़ पार्टी ने एक कर्मठ और निष्ठावान नेता खो दिया है़ जनता के हमदर्द के रूप में संताल परगना की सेवा की़ झारखंड के सवालों पर कभी समझौता नहीं किया़ अनिल मुरमू का असमय जाना पार्टी और पूरे राज्य के लिए दु:खद है़.
असमय चला गया अपना साथी : स्टीफन
झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा है कि राजनीति में अनिल मुरमू आगे बढ़ रहा था़ जनता के साथ गहरा जुड़ाव बनाया था़ हमेशा जनता के सवालों पर संघर्षशील रहा़ अनिल मुरमू के निधन से मर्माहत हू़ं समाज के लिए यह दुखद क्षण है़ झामुमो विधायक कुणाल षाडंगी, दीपक बिरुआ, पार्टी नेता सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद पांडेय, अभिषेक कुमार पिंटू सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर दु:ख प्रकट किया है़.

हेमंत ने सीएम से की बात, विधानसभा लाया जायेगा दिवंगत विधायक का पार्थिव शरीर
लिट्टीपाड़ा विधायक अनिल मुरमू का शव बुधवार को विधानसभा लाया जायेगा़ प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से इस संबंध में बात की़ इसके बाद विधायक के शव को राजधानी लाने की तैयारी शुरू हुई़ इससे पूर्व सूचना मिलते ही प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन, स्टीफन मरांडी, प्रदीप यादव ने स्पीकर दिनेश उरांव और संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय से बात की़ पक्ष-विपक्ष के नेताओं के बीच तय हुआ कि अनिल मुरमू को विधानसभा में श्रद्धाजंलि दी जाये़ सूचना के मुताबिक 11 बजे तक मुरमू का पार्थिव शरीर विधानसभा पहुंचेगा़ दुमका से हेलीकॉप्टर से पार्थिव शरीर रांची लाया जायेगा़
संघर्षशील नेता थे : बाबूलाल
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अनिल मुरमू के निधन से दुख हुआ है़ वह एक मृदुभाषी, संवेदनशील और संघर्षशील नेता थे़ हमेशा समाज के गरीबाें की आवाज उठायी़ उनका निधन पीड़ादायक है़.
गहरा अाघात : सुखदेव
कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि विधानसभा से लेकर राज्य की राजनीति में हमेशा उनकी कमी खलेगी़ राजनीति को गहरा अाघात लगा है़ वह समाज के अंतिम व्यक्ति के पक्षधर थे़ आम लोगों के मुद्दों पर हमेशा संवेदनशील रहे़.
कमी पूरी नहीं हाेगी : सुदेश
आजसू नेता सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि अनिल मुरमू झारखंडी चेतना से ओत-प्रोत थे़ हमेशा वह झारखंड के सवालों पर चिंतित और संघर्ष करनेवाले थे़ झारखंड आंदोलन में अपनी भूमिका निभायी़ आजसू के साथ उनका गहरा लगाव रहा़ झारखंड की राजनीति में उनकी कमी पूरी नहीं की जा सकती है़ आजसू नेता डॉ देवशरण भगत, विकास मुंडा, उमाकांत रजक सहित कई नेताओं ने भी उनके निधन पर संवेदना प्रकट की है.
जुझारू नेता खो दिया : रघुवर
भाजपा नेताओं ने जताया शोक
रांची. लिट्टीपाड़ा के झामुमो विधायक अनिल मुरमू के निधन पर मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत भाजपा नेताओं ने शोक जताया है. श्री दास ने कहा कि झारखंड ने एक जुझारू नेता खो दिया है. इस दुख: की घड़ी में उनकी संवेदना स्वर्गीय मुर्मू के परिवार के साथ है. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस दुख: की घड़ी में भगवान उनके परिजनों को इसे बरदाश्त करने की शक्ति दें. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि प्रदेश ने योग्य एवं कर्मठ नेता खो दिया है. शोक जतानेवालों में हेमलाल मुरमू, विद्युतवरण महतो, ऊषा पांडेय, सत्येंद्रनाथ तिवारी, समीर उरांव, आदित्य साहू, प्रिया सिंह, सुनील कुमार सिंह, दीपक प्रकाश, अनंत ओझा, प्रदीप वर्मा, नवीन जायसवाल, घुरन समेत कई लोग शामिल हैं.
राज्यपाल ने शोक जताया
राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने शोक संदेश में राज्यपाल ने कहा है कि ईश्वर उनकी आत्मा को चिरशांति प्रदान करें तथा इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को धैर्य रखने की शक्ति दें.
मर्माहत हूं : स्पीकर
स्पीकर ने कहा है कि यह समाचार दु:खद है़ विधायक के असमय निधन से मर्माहत हू़ं दु:ख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूू़ं.
चंद्रप्रकाश ने जताया शोक
पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने विधायक अनिल मुरमू के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वह एक जुझारू नेता थे. दुख की इस घड़ी में ईश्वर उनके परिजनों को सहन शक्ति दे.
असम से लेकर झारखंड तक किया संघर्ष
अनिल मुरमू जुझारू नेता थे. झारखंड आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभायी. आजसू में रहते हुए संताल परगना से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. आंदोलन के दिनों में इनका तेवर देखते बनता था. आदिवासी-मूलवासी की गोलबंदी के लिए हमेशा प्रयासरत रहे. संताल परगना के साथ-साथ असम में भी आदिवासी बाहुल्य इलाके में सक्रिय भागीदारी निभायी.
असम के खास इलाके में अच्छी पैठ रखते थे. एक दशक तक असम में आदिवासी संगठन के साथ राजनीति की. झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, स्टीफन मरांडी ने अनिल मुरमू के संघर्ष को देखते हुए असम में संगठन खड़ा करने की जिम्मेवारी सौंपी. झामुमो इस इलाके में अनिल मुरमू के सहारे ही पैठ बनाना चाहता था. शिबू सोरेन ने अनिल मुरमू को असम के कोकराझाड़ से सांसद का टिकट दिया. चुनाव में अनिल मुरमू ने 98 हजार वोट लाये. असम में लंबे संघर्ष के बाद वह दुबारा संताल परगना पहुंचे. राज्य गठन के बाद विस्थापन और आदिवासियों के सवाल पर लगातार संघर्ष करते रहे. राजनीति के दौरान अनिल मुरमू ने कई उतार चढ़ाव देखे. एक समय वह बाबूलाल मरांडी के करीब भी आये. झाविमो की टिकट पर भी विधायक का चुनाव लड़ा. पिछले चुनाव में वह दोबारा झामुमो के साथ आये और चुनाव जीत कर पहली बार विधायक बने. विधानसभा के अंदर भी अनिल मुरमू का आंदोलनकारी चेहरा दिखता था. मुट्ठी बांध कर पूरे जोश से नारेबाजी करते थे.
अपने मकान में एक ईंट नहीं जोड़ पाये, खपरैल था घर
अनिल मुरमू झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी के काफी करीबी थी. राजनीतिक सफर में श्री मरांडी ने मुरमू को आगे बढ़ने में मदद की. श्री मरांडी बताते हैं कि आज तक वह अपने मकान में एक ईंट नहीं जोड़ पाया. आमडापाड़ा में पैतृक आवास खपरैल है. मिट्टी के मकान में ही गांव में रहते थे. पत्नी दुमका में कार्यरत हैं. दुमका में भी भाड़े के मकान में रहते थे.
गाड़ी तक नहीं थी
अनिल मुरमू ने संघर्ष के बल पर ही राजनीति में पहचान बनायी. गरीब परिवार से आते थे. राजनीति में हमेशा तंगहाली बनी हुई थी. शुरुआती दौर में घूमने के लिए गाड़ी तक नहीं थी. दोस्त, राजनीतिक सहयोगी तेल और गाड़ी की व्यवस्था करते थे. अपने क्षेत्र के लोगों के सहयोग से राजनीति चल रही थी. जनसहयोग के बदौलत राजनीति में जगह बनायी. विधायक बनने के बाद भी हालात बहुत नहीं बदले थे.

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