प्रकृति प्रदत जंगली इलाकों में जीवन यापन करने वाले संताली समुदाय के लोग धनकटनी के बाद अपने गांव, समाज और परिवार के साथ पशु-पक्षियों के सुख समृद्धि की कामना की जाती हैं. यह त्योहार भी प्रकृति की पूजा व आराधना पर आधारित है. इस पर्व में सभी भाई अपनी बहन को पूरे परिवार के साथ मायका आमंत्रित करते हैं. पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व में समुदाय के सभी बच्चे, महिला और पुरुष नृत्य- संगीत के साथ परंपरागत रूप से इस पर्व का आनंद लेते हैं.
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झारखंड : सोहराय पर्व पर आज बंद रहे सरकारी कार्यालय, आदिवासी समुदाय में रहा उत्साह
रांची. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर सोहराय पर्व के अवसर पर आज सरकारी छुट्अटी रही. मुख्यमंत्री ने 30 दिसंबर को जामताड़ा की एक सभा में घोषणा की थी कि सोहराय के अवसर पर सरकारी अवकाश रहेगा. उसकी इस घोषणा को कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग ने बुध्रवार के अमलीजामा पहनाया और इस आशय की अधिसूचना […]
रांची. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर सोहराय पर्व के अवसर पर आज सरकारी छुट्अटी रही. मुख्यमंत्री ने 30 दिसंबर को जामताड़ा की एक सभा में घोषणा की थी कि सोहराय के अवसर पर सरकारी अवकाश रहेगा. उसकी इस घोषणा को कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग ने बुध्रवार के अमलीजामा पहनाया और इस आशय की अधिसूचना जारी की.
आज संताल परगना और छोटानागपुर में सोहराय का उत्सव विशेष रूप से मनाया गया. सोहराय पांच दिनों का त्योहार है, जिसे अलग-अलग गांवों में आदिवासी समाज अपनी सुविधा के अनुसार तिथि तय कर मनाता है.आधुनिकता के दौर में अन्य समुदाय जहां अपनी परंपरा और संस्कृति से मुंह मोड़ने लगे है, वहीं इस समुदाय के लोगों का अपनी परंपरा और संस्कृति से अटूट रिश्ता कायम है. पहाड़ों, जंगलों और नदियों की निश्चल धारा के बीच सीधा-सादा जीवन जीने वाले इस समुदाय का प्रकृति से गहरा रिश्ता रहा हैं. सोहराय पर्व आदिवासियों के व्यापक सोच को भी दर्शाता है.
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