सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर खदान से कोयला निकाला जा रहा था. इसमें इसीएल व खनन कार्य कर रही महालक्ष्मी कंपनी (आउटसोर्सिंग) की मिलीभगत है. प्रार्थी ने मृत मजदूरों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नाैकरी व पर्याप्त मुआवजा दिलाने का आग्रह किया. साथ ही पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने का भी आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मो सरफराज ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि 30 दिसंबर 2016 को खदान दुर्घटना हुई थी, जिसमें काफी संख्या में मजदूर दब गये थे. इसमें कई मजदूरों की माैत हो गयी थी. दुर्घटना की आशंका होने के बावजूद मजदूरों को काम पर जबरन भेजा गया था.
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इसीएल आैर डीजीएमएस को हाइकोर्ट ने जारी किया नोटिस
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को गोड्डा में इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया खदान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान इस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड (इसीएल) व डायरेक्टर जनरल अॉफ माइंस शेफ्टी (डीजीएमएस) को नोटिस जारी किया. प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की विस्तृत सुनवाई […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को गोड्डा में इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया खदान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.
इस दौरान इस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड (इसीएल) व डायरेक्टर जनरल अॉफ माइंस शेफ्टी (डीजीएमएस) को नोटिस जारी किया. प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 11 जनवरी की तिथि निर्धारित की. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता लुकेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि ललमटिया खदान में हुई दुर्घटना में इसीएल प्रबंधन द्वारा मजदूरों की माैत का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह कम है.
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