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टिकट के लिए दिल्ली से रांची तक चिरौरी की, फिर संगठन में हावी

रांची : कांग्रेस में विधायकों का अपना अलग रास्ता है़ संगठन से वास्ता नहीं है़ पार्टी से टिकट लेने के लिए दिल्ली से रांची तक चिरौरी होती है़ पार्टी के लिए अपने काम गिनाते है़ं प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेताओं के पास लॉबिंग करते हैं, लेकिन विधायक बनते ही पैंतरा-दावं सब बदल जाते है़ं विधायक […]

रांची : कांग्रेस में विधायकों का अपना अलग रास्ता है़ संगठन से वास्ता नहीं है़ पार्टी से टिकट लेने के लिए दिल्ली से रांची तक चिरौरी होती है़ पार्टी के लिए अपने काम गिनाते है़ं प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेताओं के पास लॉबिंग करते हैं, लेकिन विधायक बनते ही पैंतरा-दावं सब बदल जाते है़ं विधायक बन गये, तो फिर संगठन से ऊपर अनुशासन तोड़ने में आगे है़ं .
कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ झामुमो का गंठबंधन न हो, इसके लिए सब चाल चले़ संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक लॉबिंग की. कांग्रेस का झामुमो के साथ समझौता होता, तो जामताड़ा सीट फंस सकता था़ विधायक बनते ही राजनीतिक सूझ-बूझ बदल गयी़ झामुमो के साथ गंठबंधन के सबसे बड़े पैरवीकार हो गये़ आदिवासी वोट बैंक पर नजर है़.

संताल परगना में पार्टी जमीनी स्तर पर कमजोर है़ विधायक अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद में है़ं सारी राजनीति अपनी सीट के समीकरण के अनुसार ही करते है़ं संताल परगना में संगठन के कार्यक्रम से खुद को दूर रखते है़ं प्रदेश के केंद्रीय नेतृत्व को भी गलत तरीके से फीड किया जाता है़.

विधायकों का जिला स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कोई समन्वय नहीं है़ जिलाध्यक्षों से विधायक की नहीं बनती़ पार्टी विधायक दल के नेता आलमगीर आलम भी संताल से ही आते हैं, लेकिन विधायक इरफान अंसारी को इनका नेतृत्व स्वीकार नही़ं पार्टी आलाकमान ने आलमगीर को जवाबदेही दी है, लेकिन इसकी परवाह इरफान अंसारी जैसे विधायक को नहीं है़

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