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कोर्ट के आदेश के बिना एक भी शहरी गरीब के लिए आवास बना?
शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने का मामला. हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी, राज्य सरकार से पूछा केंद्र से पैसा मिलने के बावजूद क्यों न ही बना आवास सरकार को विस्तृत जवाब देने का निर्देश रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. […]
शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने का मामला. हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी, राज्य सरकार से पूछा
केंद्र से पैसा मिलने के बावजूद क्यों न ही बना आवास
सरकार को विस्तृत जवाब देने का निर्देश
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि केंद्र सरकार से पैसे मिलने के बावजूद शहरी गरीबों के लिए आवास क्यों नहीं बनाया गया? कोर्ट के आदेश के बिना क्या सरकार ने एक भी शहरी गरीब के लिए आवास बनाया है? वर्ष 2014 से यह मामला चल रहा है. सरकार कहती है कि जमीन चिह्नित की जी रही है. जमीन चिह्नित करना आवास उपलब्ध कराना नहीं होता है. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अधिकारी स्कूटर चला कर जमीन पर जाते हैं आैर लाैट आते हैं. अधिकारियों ने कुछ नहीं किया. राजीव गांधी आवास योजना पहले से चल रही है. इस योजना में कितने आवास बनाये गये हैं. कोर्ट ने सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि वर्ष 2014 से यह मामला चल रहा है.
केंद्र के पैसे से दूसरे राज्य लाभ उठा रहे हैं, लेकिन झारखंड ने पैसे का उपयोग नहीं किया. इसके लिए काैन अधिकारी जिम्मेवार है. जस्टिस पटेल ने अहमदाबाद में सीजे आवास के समीप शहरी गरीबों के लिए आवास उपलब्ध करवाने संबंधी उदाहरण देते हुए कहा कि यहां पुरानी योजनाअों की स्थिति भी ठीक नहीं है. कोर्ट के आदेश के बिना कुछ नहीं होता है. खंडपीठ ने लाभुकों की सूची तैयार करने संबंधी सरकार के जवाब पर टिप्पणी करते हुए कहा कि न जगह तय की गयी आैर न आवास ही बनाये गये, लेकिन लाभुकों की सूची तैयार कर ली गयी. यह कैसी उपलब्धि है. केंद्र के पैसे से गरीबों का आवास बनाया जाये. कहीं ऐसा नहीं हो कि अधिकारी को निलंबित करने की नाैबत आये.
इससे पहले प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को सरकार ने आवास उल्ब्ध नहीं कराया है. आवास का निर्माण नहीं किया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी उमेश मुखी व अन्य की अोर से जनहित याचिका दायर कर शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने की मांग की गयी है
मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी
मामला हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने का
रांची : हाइकोर्ट ने पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) व एसडीजेएम को कारण बताअो नोटिस जारी किया. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एबी सिंह की अदालत ने गुरुवार को छह आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने पूछा है कि किन परिस्थितियों में हाइकोर्ट के आदेश की अनदेखी की गयी.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थियों की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा, अधिवक्ता सुनील महतो ने अदालत को बताया कि लिट्टीपाड़ा थाना कांड संख्या 51/2016 के दो आरोपी भूषण साहा व नारायण साहा को 25 दिसंबर को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उनके अधिवक्ता ने पुलिस को हाइकोर्ट के आदेश की प्रति भी दिखलायी थी. इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया. 31 दिसंबर को दोनों काे जेल से रिहा भी कर दिया गया. प्रार्थियों ने हाइकोर्ट को पत्र लिख कर घटना की जानकारी दी.
अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की. उल्लेखनीय है कि मारपीट मामले से जुड़े इस मामले में छह आरोपियों की अोर से हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की गयी थी. कोर्ट ने 14 दिसंबर को सुनवाई करते हुए प्रार्थियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था.
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