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प्रकाशकों को 90 दिन में देनी होंगी किताबें

काेशिश. शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले किताब देने की तैयारी शैक्षणिक सत्र 2017-18 में पहली से आठवीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जायेंगी. इस पर लगभग 82 करोड़ रुपये खर्च होंगे. रांची : कक्षा एक से आठ तक के 45 लाख बच्चों को शैक्षणिक सत्र 2017-18 में नि:शुल्क […]

काेशिश. शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले किताब देने की तैयारी
शैक्षणिक सत्र 2017-18 में पहली से आठवीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जायेंगी. इस पर लगभग 82 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
रांची : कक्षा एक से आठ तक के 45 लाख बच्चों को शैक्षणिक सत्र 2017-18 में नि:शुल्क किताब दी जायेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना ने टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली है. बच्चों को किताब उपलब्ध कराने में लगभग 82 करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्रकाशकों को वर्कऑर्डर जारी होने के 90 दिन के अंदर किताब की आपूर्ति करनी होगी. 90 दिन के अंदर आपूर्ति नहीं करनेवाले प्रकाशकों को पेनाल्टी देना होगा. सभी कक्षा की किताब छपाई के लिए प्रकाशकों को सोमवार तक वर्कऑर्डर जारी कर दिया जायेगा.
प्रकाशकों को सभी प्रखंड मुख्यालय तक किताब पहुंचानी होगी. प्रखंड मुख्यालय से विद्यालय किताबें ले जायेंगे. 20 मार्च से किताब आपूर्ति की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है. अप्रैल में नये शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ बच्चों को किताब उपलब्ध करा दी जायेगी. वर्ष 2017-18 में नेशनल प्रिंटर्स रांची, आरपी प्रिंटर्स नाेयडा व बुग्दा प्रिंटर्स को किताब छापने का काम दिया गया है. शैक्षणिक सत्र 2017-18 से कक्षा छह से आठ के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया गया है. अंगरेजी, गणित सामाजिक विज्ञान, हिंदी, संस्कृत व विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है.
पुस्तकों में झारखंड की सभ्यता, संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, खेल, स्वतंत्रता सेनानी, झारखंड की नदियां, जलप्रपात, ऐतिहासिक धरोहर व खिलाड़ियों की जीवनी को शामिल किया गया है. किताब को और आकर्षक बनाया गया है. प्रत्येक अध्याय के अंत में प्रोजेक्ट वर्क, शिक्षकों के लिए कार्य, चर्चा करें, चित्र बनायें, हमने क्या सीखा जैसे पृष्ठों को जोड़ा गया है. कक्षा छह से आठ के किताब में बाल श्रम, मानवाधिकार, कुपोषण, ट्रैफिक व्यवस्था समेत अन्य विषयों को जोड़ा गया है. इसके अलावा कक्षा तीन से आठ तक में नैतिक शिक्षा की पढ़ाई भी शुरू की गयी है. उल्लेखनीय है कि गत वर्ष कक्षा एक से पांच तक के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया था.
बच्चों की संख्या में हो सकती कमी
राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों के नामांकन को आधार से जोड़ने को कहा गया है. जिला शिक्षा अधीक्षक से इसकी रिपोर्ट मांगी गयी है. सभी जिलों से नामांकन को आधार से जोड़ने की अंतिम रिपोर्ट नहीं भेजी गयी है.
ऐसे में शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन आधार से लिंक होने पर वैसे बच्चे जिनका नामांकन दो जगहों पर है, उनका नाम एक जगह की उपस्थिति पंजी से हटा दिया जायेगा. ऐसे में बच्चों की संख्या में कमी होने की संभावना है. झारखंड शिक्षा परियोजना ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधीक्षक से रिपोर्ट देने को कहा था.

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