परियोजना की शुरुआत से लेकर अब तक डीवीसी करीब 500 करोड़ रुपये के घाटे में प्लांट का संचालन कर रही है. हड़ताल, प्रदर्शन व अन्य व्यवधानों के कारण समय-समय पर यहां बिजली उत्पादन बंद करना पड़ता है. शनिवार को एक बार फिर बिजली उत्पादन ठप होने से राज्य में बिजली का संकट गहरा सकता है. इधर, डीवीसी के परियोजना प्रमुख ने कहा कि बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, अराजकता व भय के माहौल में कुछ भी कर पाना संभव नहीं लग रहा है. उन्होंने बताया कि आज जो स्थिति बनी है, उससे यही लग रहा है कि प्लांट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ेगा.
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कोडरमा में डीवीसी ने बिजली उत्पादन रोका
जयनगर (कोडरमा) : बांझेडीह में संचालित डीवीसी के कोडरमा थर्मल पावर प्लांट (केटीपीए) में एक बार फिर बिजली उत्पादन ठप हो गया है. मेंटनेंस मजदूरों की 26 दिसंबर से जारी हड़ताल के कारण डीवीसी को मजबूरन प्लांट में कामकाज बंद करना पड़ा है. शनिवार को बिजली उत्पादन ठप होते ही पहले ही दिन डीवीसी को […]
जयनगर (कोडरमा) : बांझेडीह में संचालित डीवीसी के कोडरमा थर्मल पावर प्लांट (केटीपीए) में एक बार फिर बिजली उत्पादन ठप हो गया है. मेंटनेंस मजदूरों की 26 दिसंबर से जारी हड़ताल के कारण डीवीसी को मजबूरन प्लांट में कामकाज बंद करना पड़ा है. शनिवार को बिजली उत्पादन ठप होते ही पहले ही दिन डीवीसी को करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
मेंटनेंस मजदूरों ने गेट जाम कर दिया है
जानकारी के अनुसार, डीवीसी द्वारा यहां 500-500 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए दो यूनिट बनाये गये हैं. लंबे समय से ऐश पांड निर्माण विस्थापितों द्वारा नहीं करने देने के कारण एक यूनिट अक्सर बंद रहती है. डीवीसी एकमात्र यूनिट से 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती रही है. अस्थायी ऐश पांड को खाली कर बीच-बीच में दोनों यूनिटों का संचालन किया जा रहा है, पर मेंटनेंस मजदूरों की हड़ताल व गेट जाम कर देने से अधिकारी से लेकर कर्मी तक प्लांट के अंदर नहीं जा पा रहे हैं. इस कारण बिजली उत्पादन को रोक देना पड़ा है. ज्ञात हो कि डीवीसी द्वारा 32 गांवों की जमीन अधिगृहित कर करीब आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से इस प्लांट का निर्माण करवाया गया है. यहां से उत्पादित बिजली में से 270 से 300 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलती है.
बंद हुआ प्लांट तो क्षेत्र के विकास पर पड़ेगा असर
डीवीसी के परियोजना प्रमुख मोहन झा ने कहा कि शनिवार सुबह 10:22 बजे प्लांट का उत्पादन ठप करना पड़ा. मजदूर यूनियन की हड़ताल, अवैध तरीके से गेट जाम व सड़क जाम कर देने से यह समस्या उत्पन्न हुई है. हड़ताल शुरू होने के बाद से ही वार्ता का विकल्प खुला रखा गया था. हजारीबाग में सहायक श्रमायुक्त के पास भी त्रिपक्षीय वार्ता हुई, पर यूनियन के प्रतिनिधि अपनी जिद पर अड़े हैं. प्लांट बंद हुआ तो क्षेत्र के विकास पर असर पड़ेगा. प्लांट चलाने का उत्तरदायित्व आम जनता के साथ ही जनप्रतिनिधियों व सरकारी तंत्र का भी है.
इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं मेंटनेंस मजदूर
मेंटनेंस मजदूर केंद्र सरकार द्वारा बढ़ायी गयी न्यूनतम मजदूरी को लागू करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा मेंटेनेंस का काम कर रहे जिन मजदूरों का दो वर्ष से ऊपर हुआ है, उसका पदनाम बदलने की मांग कर रहे हैं, दो नंबर रेलवे गेट के पास मजदूरों के आने-जाने के लिए मिनी गेट खोला जाये, ऊंचाई पर काम कर रहे मजदूरों को हाइट एलाउंस मिले और एरियर भी दिया जाये, मजदूर हित में 26 अक्तूबर को हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को डीवीसी अविलंब लागू करे, प्लांट में सफाई कार्य कर रहे मजदूरों को मेंटेनेंस मजदूर की तरह सुविधाएं दी जाये, मेंटेनेंस में कार्य कर रहे मजदूरों को डीवीसी की तरह छुट्टी दी जाये, इएसआइ सभी कंपनी अविलंब लागू करे. प्लांट परिसर में कैंटीन व मेडिकल की सुविधा उपलब्ध हो. डीवीसी इसमें अधिकांश मांगों को लागू नहीं कर सकती है. ऐसे में वार्ता विफल हो गयी है.
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