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हरमू नदी का डीपीआर ही गलत था

हरमू नदी का जीर्णोद्धार गलत डीपीआर के आधार पर किया जा रहा है. यही वजह है कि अब तक 45 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाने के बावजूद अपेक्षाकृत परिणाम सामने नहीं आये हैं. नगर विकास विभाग द्वारा हरमू नदी के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने ये बातें अपनी जांच रिपोर्ट में कहीं […]

हरमू नदी का जीर्णोद्धार गलत डीपीआर के आधार पर किया जा रहा है. यही वजह है कि अब तक 45 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाने के बावजूद अपेक्षाकृत परिणाम सामने नहीं आये हैं. नगर विकास विभाग द्वारा हरमू नदी के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने ये बातें अपनी जांच रिपोर्ट में कहीं हैं. कुल 85 करोड़ रुपये की लागत से हरमू नदी के प्रथम चरण का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया है.
रांची: हरमू नदी जीर्णोंद्धार में गड़बड़ी की शिकायत नगर विकास मंत्री सीपी सिंह से की गयी थी. इस पर मंत्री ने इसी साल अगस्त में निर्माण कार्यों की जांच का आदेश दिया था, जिस पर विभाग ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी में विभाग के मुख्य अभियंता श्याम लाल मेहरा, संयुक्त सचिव अरुण कुमार रतन और अधीक्षण अभियंता विजय कुमार भगत शामिल थे. जांच कमेटी के तीनों सदस्यों ने संयुक्त रूप से स्थल निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसे नगर विकास विभाग को सौंप दिया गया है. जांच रिपोर्ट में कमेटी ने यह भी माना है कि नदी की चौड़ाई अपेक्षाकृत कम की गयी है. फिलहाल नदी की चौड़ाई छह मीटर है, जिसे कमेटी ने बढ़ाने का भी सुझाव दिया है. कमेटी ने माना है कि संवेदक द्वारा किया गया कार्य डीपीआर के अनुरूप ही पाया गया है. पर ‘मेसर्स टंडन अरबन सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेडह’ द्वारा निर्मित डीपीआर ही समुचित नहीं है.
गेबियन टूटे हुए पाये गये
जांच कमेटी ने हरमू नदी के गंगा नगर से लेकर चुटिया तक(9.2 किमी) का स्थल निरीक्षण कर निर्माण कार्यों का जायजा लिया. रिपोर्ट में लिखा गया है कि हरमू नदी में सर्वप्रथम डीपीआर के अनुरूप मिट्टी का कार्य करते हुए रिसेक्शनिंग का कार्य प्रगति पर पाया गया है. नदी तल में अलग-अलग स्थानों पर प्रावधान के अनुरूप क्रमश: तीन मीटर, चार मीटर एवं छह मीटर रिवर बेड सेक्शन पर जीरो से 4.6 किमी तक क्रमश: एक मीटर गुना एक मीटर गुना एक मीटर व 4.06 किमी से 10.4 किमी तक 1.25 मीटर गुना एक मीटर गुना एक मीटर का बोल्डर से गेबियन का निर्माण किया गया. स्थल निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि हरमू नदी के कुछ जगहों पर वर्षा ऋतु में जल के तेज प्रवाह के कारण गेबियन वाल के आस-पास रिवर बेड का अपरदन(किनारे में मिट्टी का कटाव) हुआ है. अर्थ प्रेशर के कारण गैबियन वाल कुछ जगहों पर टेढ़े हो गये हैं. नदी के टर्निंग वाले जगहों पर गैबियन वाॅल टूटे पाये गये हैं. समिति को जुडको एवं संवेदक ईगल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड द्वारा यह बताया गया कि नदी का जीर्णोद्धार का कार्य 35 क्यूमेक डिस्चार्ज पर किया जा रहा है. परंतु फ्लश फ्लड आने के कारण गैबियन कुछ जगहों पर टूट गया है एवं चूंकि यह कार्य प्रगति में है इसलिए इसे सुधार कर लिया जायेगा.
नदी की चौड़ाई बढ़ाने का निर्देश
हरमू नदी की चौड़ाई इस समय छह मीटर है. समिति ने अपने सुझाव में लिखा है कि प्रत्येक ब्रिज के समीप नदी की चौड़ाई को ब्रिज के वेंट के अनुसार चौड़ा किया जाये. नदी के उस स्ट्रेच में जहां ड्रेन का पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, वहां नदी के बेड पर पर्याप्त दूरी तक एप्रोन बिछाया जा सकता है. समिति ने नदी की चौड़ाई भी बढ़ाने का सुझाव दिया है.
अस्थायी पीसीसी ढालाई
समिति के सदस्यों ने देखा कि विद्यानगर पुल से होते हुए मुक्तिधाम पुल से हरमू बाईपास मुख्य पुल तक संवेदकों द्वारा नदी के दोनों स्लोप पर पीसीसी ढलाई की गयी है. संवेदक द्वारा बताया गया कि चूंकि वहां से निकट स्थल पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं बड़ा नाला का कार्य होना है. वर्षा ऋतु निकट होने के कारण नदी के दोनों स्लोप मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पीसीसी किया गया तो कि अस्थायी रूप से निर्मित है एवं भविष्य में उसे तोड़ कर हटा दिया जायेगा.
डिजाइन संशोधित होगी
जुडको द्वारा यह बताया गया कि इस स्थल पर इनलेट इंप्रूवमेंट वर्क स्वीकृत डीपीआर के अनुरूप पर्याप्त नहीं था. उसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है. इस पर जुडको लिमिटेड द्वारा संशोधित डिजाइन एवं ड्राइंग तैयार किया जा रहा है एवं सक्षम स्तर से अनुमोदन के पश्चात आगे का कार्य किया जायेगा.

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