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ब्राइट न्यून काे एक्सटेंशन पर मेयर की थी सहमति !

रांची: ब्राइट न्यून एजेंसी को वर्ष 2004 में शहर के गली-मोहल्लों में लगी सोडियम वेपर लाइट के मेंटेनेंस का जिम्मा दिया गया. 10 अक्तूबर 2015 को हुई निगम बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया था कि ब्राइट न्यून के साथ हुए समझौते की समय सीमा समाप्त हो रही है. इस पर बैठक में […]

रांची: ब्राइट न्यून एजेंसी को वर्ष 2004 में शहर के गली-मोहल्लों में लगी सोडियम वेपर लाइट के मेंटेनेंस का जिम्मा दिया गया. 10 अक्तूबर 2015 को हुई निगम बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया था कि ब्राइट न्यून के साथ हुए समझौते की समय सीमा समाप्त हो रही है. इस पर बैठक में शामिल अधिकतर सदस्यों का तर्क था कि ब्राइट न्यून का पिछले 10 वर्षों का कार्यकाल ठीकठाक रहा है, इसलिए इसी कंपनी को आगे का भी कार्य सौंपा जाये.

प्रस्ताव के आलोक में कंपनी को अगले पांच वर्षों के लिए एक्सटेंशन को सहमति दे दी गयी. यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस बैठक में ब्राइट न्यून को एक्सटेंशन दिया गया, उस बैठक की अध्यक्षता मेयर आशा लकड़ा ही कर रही थीं. बैठक में पारित प्रस्ताव की संपुष्टि पर मेयर के अलावा डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, नगर आयुक्त प्रशांत कुमार सहित निगम के अधिकारियों ने भी हस्ताक्षर किये थे. बैठक में सभी 55 वार्ड पार्षद भी उपस्थित थे. इसके बाद नवंबर 2015 में हुई बोर्ड की बैठक में इस ब्राइट न्यून को एक्सटेंशन देने के प्रस्ताव को संपुष्ट (अनुमोदित) किया गया. बाद में निगम के अधिकारियों ने कंपनी के साथ एकरारनामा किया.
एक्सटेंशन पर मेयर का तर्क : प्रभात खबर ने मेयर आशा लकड़ा से पूछा कि जब उनकी मौजूदगी में ही ब्राइट न्यून को एक्सटेंशन मिला था, तो अब उसके काम पर उन्हें आपत्ति क्यों है? इस पर मेयर ने कि बोर्ड की बैठक में जो प्रस्ताव आया था, उसके तहत ब्राइट न्यून कंपनी को केवल गली-मुहल्लों में लगी सोडियम वेपर लाइट का मेंटेनेंस करना था, लेकिन निगम के अधिकारियों ने बाद में प्रस्ताव में छेड़छाड़ कर उसमें जोड़ दिया कि ब्राइट न्यून ही शहर की मुख्य सड़कों पर लगी एलइडी लाइट का भी मेंटेनेंस करेगी, जबकि रांची नगर निगम एलइडी लाइट लगाने आैर उसके मेंटेनेंस का कार्य पहले ही सूर्या कंपनी को दिया जा चुका था. ऐसे में ब्राइट न्यून द्वारा बिजली के उन खंभों पर विज्ञापन पट्ट लगाने ही नहीं चाहिए थे, जिस पर सूर्या कंपनी का अधिकार है. इसके बावजूद कंपनी बिजली के खंभों पर विज्ञापन पट्ट लगा कर करोड़ों रुपये की कमाई कर रही है.

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