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अफसोस.पहला स्टाइपेंड भी नहीं ले सकी डॉ सिमी

रांची : सड़क हादसे में मृत रिम्स की इंटर्नशिप छात्रा डॉ सिमी कुमारी (उर्फ लिली) रिम्स से पहला स्टाइपेंड भी नहीं उठा पायी. वह छपरा, बिहार की रहनेवाली थी. सिमी के दोस्तों ने कहा कि इंटर्नशिप का पैसा मिलने का उसमें सबसे ज्यादा उत्साह था. इसके लिए उसने अधिकारियों के पीछे भाग-दौड़ करके हस्ताक्षर करवाया. […]

रांची : सड़क हादसे में मृत रिम्स की इंटर्नशिप छात्रा डॉ सिमी कुमारी (उर्फ लिली) रिम्स से पहला स्टाइपेंड भी नहीं उठा पायी. वह छपरा, बिहार की रहनेवाली थी. सिमी के दोस्तों ने कहा कि इंटर्नशिप का पैसा मिलने का उसमें सबसे ज्यादा उत्साह था. इसके लिए उसने अधिकारियों के पीछे भाग-दौड़ करके हस्ताक्षर करवाया. अक्सर वह लेखा विभाग में जाकर पूछती थी कि पैसा कब आयेगा. स्टाइपेंड का पैसा दिसंबर माह में मिलना था. सिमी हमेशा कहती थी कि इस पैसे से वह नये साल में पिकनिक मनायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. गौरतलब है कि मंगलवार की रात सिमी कुमारी की बरियातू मसजिद के पास एक दुर्घटना में मौत हो गयी थी.
इधर, सिमी का बुधवार को रिम्स में पोस्टमार्टम किया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव को अंतिम दर्शन के लिए निदेशक कार्यालय के बाहर रखा गया. यहां सिमी के माता-पिता व सहपाठियों ने पुष्प अर्पित कर उसे श्रद्धांजलि दी. इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया. अंतिम दर्शन में प्रभारी निदेशक डाॅ आरके श्रीवास्तव के अलावा रिम्स के कई सीनियर चिकित्सक एवं मेडिकल छात्र मौजूद थे. परिजन पहले सिमी का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से कराना चाहते थे. टीम बनाने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन परिजनों ने कहा कि बिना मेडिकल टीम के पोस्टमार्टम किया जाये.
मां रो-रो कर थी बेहाल : सिमी की मां रो-रो कर बेहाल थी. पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम दर्शन तक मां व पिता दोनों सिमी के साथ थे. मां बार-बार यही कह रही थी कि सिमी तु कहंवा छोड़ के चल गइलू. तहरा से हमरा बड़ा उम्मीद रहे सिमी कि तू डॉक्टर बन कर हमनी व समाज के नाम रोशन करबू. पिता की स्थिति खराब थी, वह कुछ बोल नहीं पा रहे थे.
36 घंटे से भूखे-प्यासे थे सहपाठी : सिमी के साथ पढ़नेवाले (2010 बैच) सहपाठी मंगलवार की रात 10 बजे से भूखे-प्यासे थे. कई तो रात से सोये भी नहीं थे. छात्र-छात्राएं सिमी की व्यवहार कुशलता का गुणगान करते दिखे. अधिकांश की आंखों से आंसू निकल रहे थे. पोस्टमार्टम और अंतिम दर्शन के बाद परिजनों को शव सौंपने के बाद सहपाठी अपने-अपने हॉस्टल चले गये.
हेलमेट पहन रखा होता, तो बच जाती जान : डॉ सिमी कुमारी बाइक में बिना हेलमेट के सवार थी. चिकित्सकों ने कहा कि सिमी के सिर में चोट आयी थी. अगर उसने हेलमेट पहन रखा होता, तो सिर में अंदरूनी चोट नहीं आती और वह बच सकती थी. डॉ सर्वेश ने हेलमेट पहन रखा था, इसलिए हादसे के बावजूद वह बच गये.
देवघर में सिंचाई विभाग में इंजीनियर हैं सिमी के पिता
सिमी के पिता संतोष कुमार शर्मा छपरा के मढ़ौरा थाना के ग्राम देवबहुआरा के रहनेवाले हैं. वह वर्तमान में देवघर में सिंचाई विभाग में बतौर जूनियर इंजीनियर के पद पर पदस्थापित हैं. सिमी उनकी चार बेटियों में दूसरे नंबर पर थी. बड़ी बेटी शिल्पी कुमारी बैंक में पीओ है. वहीं तीसरे नंबर की बेटी डेजी कुमारी आइआइएम से मैनेजमेंट करने के बाद नौकरी कर रही है. सबसे छोटी बेटी शिखा एनआइटी से इंजीनियरिंग करने के बाद जॉब में है.

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