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ठंड का प्रकोप. कनकनी बढ़ी, राहत की उम्मीद नहीं

रांची : फिलहाल राजधानी रांची के लोगों को ठंड से निजात नहीं मिलने वाली है. क्योंकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक गुरुवार काे शहर का पारा और नीचे जा सकता है. बुधवार को पूरे राज्य में सबसे कम तापमान बोकारो में 8.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. जबकि कांके का तापमान 5.2 डिग्री […]

रांची : फिलहाल राजधानी रांची के लोगों को ठंड से निजात नहीं मिलने वाली है. क्योंकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक गुरुवार काे शहर का पारा और नीचे जा सकता है. बुधवार को पूरे राज्य में सबसे कम तापमान बोकारो में 8.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. जबकि कांके का तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस रहा. वहीं, रांची का न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस, जबकि अधिकतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग के मुताबिक झारखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान मौसम शुष्क रहा. अगले तीन दिनों तक यह स्थिति बरकरार रहने की संभावना है. राज्य के उत्तरी-पश्चिमी तथा उत्तरी पूर्वी क्षेत्र के कुछ स्थानों पर 15 दिसंबर को कुहरा या कुहासा हो सकता है. बाद में आसमान साफ हो जायेगा. इस दिन अधिकतम 26 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहेगा. वहीं 16 दिसंबर को आसमान पूरी तरह साफ रहेगा तथा अधिकतम व न्यूनतम तापमान में एक डिग्री की कमी होने की संभावना है. यानी अधिकतम तापमान 25 तथा न्यूनतम नौ डिग्री सेल्सियस रहेगा. इसके बाद के दिनों में तापमान अौर कम हो सकता है.
सुबह और शाम को सबसे ज्यादा सता रही है ठंड : पिछले दो दिनों में राजधानी रांची का मौसम तेजी बदला है. सर्द हवाएं चलने से कनकनी बढ़ गयी है. सबसे ज्यादा ठंड का एहसास सुबह और शाम को हो रहा है, लेकिन दिन भर चल रही ठंडी हवाएं परेशान कर रही हैं. नतीजन, अस्पतालों में मौसमी बीमारियों (बुखार, सर्दी-खांसी, उल्टी-दस्त) के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. रिम्स के ओपीडी में रोजाना करीब 30 से 35 मरीज, जबकि सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना करीब 60 से 65 मरीज मौसमी बीमारी का इलाज कराने पहुंच रहे हैं. जिन मरीजों की स्थिति सामान्य है, उन्हें दवा दे कर छोड़ दिया जा रहा है. वहीं जो गंभीर है, उन्हें अस्पताल में भरती किया जा रहा है. उधर, ठंड का प्रकोप ऐसा है कि धूप होने के बावजूद लोग छोटे बच्चों को गरम कपड़ाें से ढंक कर बाहर निकल रहे हैं. स्कूली बच्चे भी गरम कपड़ाें से लदे हुए दिखायी दे रहे हैं. शाम होते ही सड़कों से भीड़ छंट जा रही है और लोग घरों में दुबक जा रहे हैं. जरूरी काम होने पर ही लोग शाम में घर से बाहर निकल रहे हैं.
विभिन्न चौक-चौराहों पर जलेगा अलाव
रांची नगर निगम के विभिन्न चौक-चौराहों पर जिला प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था की जायेगी. अलावा प्रत्येक दिन जलाया जाना है, जिसके लिए हर दिन अलग-अलग कर्मचारियों को जिम्मेवारी दी गयी है. इस संबंध में शहर अंचल अधिकारी डॉ धनंजय कुमार ने बुधवार को सूचना भी जारी कर दिया है. उन्होंने शहर अंचल निरीक्षक को निर्देश दिया है कि वे अपनी निगरानी में अलाव जलवायें. अलावा के लिए शहर में नौ स्थानों का चयन कर लिया गया है. अलबर्ट एक्का चौक, कांटा टोली चौक, सुजाता चौक, रातू रोड स्टैंड चौक, जाकिर हुसैन पार्क चौक, रेलवे स्टेशन रांची, सरकारी बस स्टैंड, खादगढ़ा बस स्टैंड व सेवा सदन के पास अलाव जलेंगे.
छोटे बच्चे ज्यादा हो रहे है बीमार
मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव का असर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. हल्की सी लापरवाही से बच्चों को बुखार, सर्दी-खांसी, उल्टी एवं दस्त की समस्या हो रही है. रिम्स की शिशु चिकित्सक डॉ दिव्या सिंह ने बताया कि ओपीडी में मौसमी बीमारी के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. ऐसे में बच्चों की सही देखभाल नहीं की जाये तो वे बीमार पड़ सकते हैं.
बरतें ये सावधानियां
छोटे बच्चों को सुबह व शाम को घर से बाहर नहीं निकलने दें
जरूरी हो तो पूरे शरीर को गरम कपड़े से ढंक कर निकलें
बच्चों को ताजा खाना और गुनगुना पानी पीने के लिए दें
संभल कर रहें हार्ट व अस्थमा के मरीज
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश कुमार ने बताया कि ठंड के मौसम में हार्ट के मरीजों को विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि सर्दी में खून गाढ़ा हो जाता है और शरीर में रक्त का प्रवाह तेजी से नहीं होता है. ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. अस्थमा के मरीजों को ठंड से बचना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में सांस की नली सिकुड़ जाने से सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
इसका रखें ख्याल
Àठंड के मौस में हार्ट के मरीजों को अलसुबह नहीं उठना चाहि
सूरज निकलने के बाद ही टहलने के लिए निकलना चाहिए
पूरे शरीर को गरम कपड़े से ढंक कर निकलें
हार्ट की दवा किसी भी हाल में नहीं छोड़े
अपनी मर्जी से दवा खरीद कर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि दवा दुकानदार दवा का सही डोज नहीं देते हैं. सही डोज नहीं मिलने से बीमारी ठीक होने के बजाय और गंभीर हो जाती है.
डॉ विद्यापति,
चिकित्सक, रिम्स

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