रांची : सूर्य मंदिर बुंडू के पास बिरसा मुंडा की 150 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा 15 नवंबर 2018 तक बन कर तैयार हो जाने की उम्मीद है. स्टैच्यू ऑफ उलगुलान के नाम से यह प्रतिमा जन सहयोग से बनायी जायेगी़ झारखंड के घर-घर से प्रतिमा निर्माण के लिए पत्थर मांगा जायेगा़ पत्थर में गांव का नाम दर्ज होगा़ बिरसा मुंडा के विचार को घर-घर तक पहुंचाने के लिए वीडियो वैन निकाला जायेगा़ बिरसा मुंडा से जुड़े दुर्लभ तथ्य को एकत्रित किया जायेगा़ यह निर्णय बुधवार को बुंडू के सूर्य मंदिर परिसर में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू नेता सुदेश महतो की मौजूदगी में हुई बैठक में लिया गया.
बैठक में बुंडू, अड़की, सोनाहातू, राहे, एदलहातू, एवं पंच परगना क्षेत्र के जन प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षक शामिल हुए. बैठक में प्रतिमा निर्माण की कार्य योजना बनायी गयी़
ज्ञात हो कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू नेता सुदेश महतो ने स्टैच्यू ऑफ उलगुलान बनाने की पहल की है़ 15 नवंबर को उलिहातू में श्री महतो ने यह घोषणा की थी़ प्रतिमा का निर्माण उलगुलान फाउंडेशन द्वारा किया जायेगा़ बैठक में बिरसा मुंडा के वंशज एवं पोता सुखराम मुंडा, आजसू नेता सुदेश कुमार महतो व सेवानिवृत्त उपायुक्त डोमन सिंह मुंडा को उलगुलान फउंडेशन का संरक्षक बनाया गया़ फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ मुकुंद चंद्र मेहता व सचिव विधायक विकास कुमार मुंडा बनाये गये. वहीं प्रतिमा निर्माण के लिए भूदान करने वाले एदलहातू निवासी राम दुर्लभ सिंह मुंडा को उपाध्यक्ष, अनूप चेल को सह सचिव, अजय कुमार पाटनी (अज्जू) काे कोषाध्यक्ष बनाया गया. मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी, पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की पत्नी प्रो अनिता मुंडा, डॉ देवशरण भगत, डॉ संजय बसु मल्लिक, डॉ हरेंद्र सिन्हा, तमाड़, बुंडू एवं अड़की के जिला परिषद सदस्य, प्रमुख, उपप्रमुख, मुखिया व उपमुखिया, पंचायत समिति सदस्यों को सलाहकार समिति में स्थान दिया गया़.
हमारा हौसला कभी कम नहीं हो सकता : सुखराम : बिरसा मुंडा के वशंज सुखराम मुंडा ने कहा कि आज बिरसा मुंडा और शहीदों के संघर्ष को तिलांजलि देने का प्रयास किया जा रहा है़ हम इसे बरदाश्त नहीं करेंगे. स्टैच्यू ऑफ उलगुलान का निर्माण कर हम यह साबित कर देंगे की हमारा हौसला कभी कम नहीं हो सकता़
हमारा बलिदान आैर संघर्ष किसी से छाेटा नहीं : इस मौके पर सुदेश महतो ने कहा कि हमारा बलिदान और संघर्ष किसी से छोटा नहीं है, लेकिन बिरसा मुंडा समेत अन्य शहीदों को इतिहास के पन्नों में वह स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वे हकदार थे़ हम चले जायेंगे, लेकिन हमारा इतिहास यहीं रहेगा़ उसे उचित स्थान देना और गौरवशाली बनाना हमारी जिम्मेदारी है़