जब्त दस्तावेजों में फरजी बिजली बिल भी पाये गये हैं. साथ ही वोटर कार्ड में लगने वाले भारतीय चुनाव आयोग का होलोग्राम भी पाया गया. कुछ दस्तावेजों पर कार्यपालक दंडाधिकारी संजीव कुमार लाल के अलावा अन्य अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर वाले दस्तावेज भी मिले हैं.
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फरजी प्रमाण पत्र बनानेवाले गिरोह के दाे सदस्य गिरफ्तार
रांची: सदर एसडीओ आदित्य कुमार आनंद को सूचना मिली थी कि उपायुक्त कार्यालय के समीप स्थित पुराने परिवहन कार्यालय परिसर में एक गिरोह फरजी पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज बनाता है. जब एसडीओ ने छापामारी की, तो उन्हें वहां से बड़ी मात्रा में फरजी ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र […]
रांची: सदर एसडीओ आदित्य कुमार आनंद को सूचना मिली थी कि उपायुक्त कार्यालय के समीप स्थित पुराने परिवहन कार्यालय परिसर में एक गिरोह फरजी पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज बनाता है. जब एसडीओ ने छापामारी की, तो उन्हें वहां से बड़ी मात्रा में फरजी ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र समेत अन्य तरह के दस्तावेज मिले. छानबीन करने पर पता चला कि इस गिरोह ने रांची में बैठे-बैठे गोड्डा के भी कुछ लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस अौर ऑनर बुक बनाया है.
मतियस ने बताया गिरोह के अन्य सदस्यों का पता : एसडीओ के मुताबिक इस कार्य में तीन लोग संलिप्त हैं. इनमें मतियस कंडूलना उर्फ टारजन और मुन्ना अंसारी आैर नासिर शामिल हैं. मतियस बढ़ई टोली का रहने वाला है, जबकि मुन्ना पंडरा निवासी है. छापामारी के दौरान मौके से पकड़े गये मतियस ने गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में बताया. उसके बताये अनुसार कार्यपालक दंडाधिकारी संजीव कुमार लाल अपनी टीम के साथ कचहरी में नासिर की दुकान पर छापामारी कर मुन्ना अंसारी को पकड़ा गया. मुन्ना अंसारी को उसके लैपटॉप के साथ एसडीओ के समक्ष प्रस्तुत किया गया. पूछताछ में मुन्ना अंसारी ने बताया कि नासिर अंसारी उसका साला है. नासिर फिलहाल फरार है. तीनों खिलाफ कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
ऐसे होता है काम
पूछताछ में मतियस कंडूलना ने बताया कि गिरोह ने दस्तावेज लेने के लिए कई लड़के रखे हैं. वह केवल लोगों से दस्तावेज जुटाता था. ग्राहक से दस्तावेज शाम को ले लिये जाते थे. हर काम के लिए अलग-अलग टेबल हैं. पेन ड्राइव के जरिये फॉर्मेट बनाकर रखे हुए हैं. इसके आधार पर कंप्यूटर से आय, जाति व मृत्यु प्रमाण पत्र निकाल लिये जाते हैं. कंप्यूटर से निकाले गये फॉर्मेट में केवल टोकन नंबर व नाम बदल दिये जाते हैं. वोटर कार्ड के लिए निर्वाचन आयोग का होलोग्राम भी बनाया जाता था. मतियस के अनुसार एक ऑनर बुक बनाने का शुल्क 700 रुपये होता है, जिसमें से छह सौ रुपये बनाने वाले को और एक सौ रुपये उसे मिलते थे. वहीं, एक वोटर कार्ड बनाने में शुल्क के नाम पर 70 रुपये लिये जाते हैं. इसमें से 50 रुपये बनाने वाले ले लेते हैं, जबकि 20 रुपये उसे मिलते हैं.
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