विशेषकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के समाज को राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में जनप्रतिनिधित्व का अधिकार प्राप्त है. अनुसूचित जाति का झारखंड जनसंख्या का अनुपात कुल संख्या का 11 से 12 प्रतिशत है, लेकिन उनके लिए निर्धारित सीटों की संख्या झारखंड बनने के पूर्व में किये गये निर्धारण के अनुसार 10 प्रतिशत से भी कम है.
झारखंड बनने के बाद कांग्रेस ने झारखंड में विधानसभा एवं लोकसभा में क्षेत्र परिसीमन के कार्य पर संसद में प्रस्ताव लाकर रोक दिया था. अनुसूचित जाति को संवैधानिक प्रावधान के अनुरूप अधिकार देते हुए उनके लिए लोकसभा एवं विधानसभा में संख्या बढ़ायी जाये. इसके लिए परिसीमन लागू करना आवश्यक है. झारखंड के लोकसभा का क्षेत्र सामान्य रूप से तीन से चार जिलों में बिखरा है. जबकि विधानसभा क्षेत्र भी दो से तीन जिलों में बिखरा हुआ है. इस प्रकार के बेतरतीब एवं अव्यावहारिक क्षेत्र में सांसद एवं विधायक विकास कार्य को सही तरीके से आगे नहीं बढ़ा सकते. डॉ राय ने सरकार से आग्रह किया कि झारखंड में रुके हुए परिसीमन को लागू कराया जाये, ताकि अनुसूचित जाति के लोगों को उनका हक मिल सके.