रांची: बजट आम जनता के लिए और आम जनता की इच्छा के अनुरूप ही बने. बजट बने तो धरातल पर भी आये, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए. सरकार को भी अपने खर्च में कटौती करते हुए राजस्व का स्रोत ढूंढ़ना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा राशि जन योजनाओं पर खर्च हो. यह विचार सोमवार को लीड्स, झारखंड स्टेट बजट ग्रुप और नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में होटल ली लैक में आयोजित स्टेट प्री बजट कंसल्टेशन में सामने आया. इसमें झारखंड के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, सरकार के सलाहकार, मीडिया, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, पंचायत प्रतिनिधि, विद्यालय प्रबंधन समिति, सामाजिक कार्यकर्ता व विभिन्न एनजीओ के 165 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी व आदिवासी सलाहकार परिषद के सदस्य जेबी तुबिद ने कार्यक्रम का उदघाटन किया. श्री तुबिद ने कहा कि अब तक आम तौर पर होता यह है कि पिछले साल का जो बजट है, उसका 10 प्रतिशत बढ़ा कर इस साल का बजट बना दिया जाता है. मगर वास्तविक स्थिति यह है कि जिस काम के लिए पैसे की जरूरत होती है, उसके लिए पैसा नहीं होता है. आज सबसे बड़ी चुनौती गवर्नेंस की है. वैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी जाये, जो उत्पादकता बढ़ाती हो. अधिक से अधिक मानव संसाधानों का विकास हो, इसका प्रावधान किया जाये. गांव के स्तर पर कई ऐसे उत्पाद हैं. चाहे वह वन उत्पाद हों या कृषि उत्पाद. इसके लिए बाजार की व्यवस्था स्थानीय युवाओं द्वारा की जा सकती है. इससे बिचौलिये समाप्त होंगे.
टैक्स बढ़ाने का संकल्प वापस ले सरकार : विजयवर्गीय : रांची नगर निगम के उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि निकायों की स्थिति ऐसी है कि सफाई कर्मचारी रखते हैं, तो पैसे कहां से देंगे इसकी चिंता रहती है. सरकार ने कहा है कि निकायों को अपने पैरों पर खड़ा होना है. यह हड़बड़ी है. होल्डिंग टैक्स बढ़ा दिया गया है, पर इसमें गतिरोध है. उन्होंने कहा कि सरकार को टैक्स बढ़ाने से संबंधित संकल्प वापस लेना चाहिए. एक पार्षद को सात हजार रुपये वेतन मिलता है, तो उससे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह हरिश्चंद्र बने.
पोषण पर ध्यान हो : बलराम : सुप्रीम कोर्ट के खाद्य सुरक्षा सलाहकार बलराम ने कहा कि प्रति बच्चा पोषण के लिए निर्धारित राशि क्या वास्तविकता पर आधारित है? पुरानी दर पर निर्धारित राशि आज के अनुकूल नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बच्चों की संख्या के अनुपात से कम है. तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान दिया गया है, जो अब तक शुरू नहीं किया गया है. पत्रकार मधुकर ने कहा कि 70 साल से बजट बनाने की जो प्रक्रिया रही है, वो ऊपर स्तर पर रह कर ही बजट बनता रहा है. लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं के अनुरूप बजट बने, तब गैप नहीं होगा. विष्णु राजगढ़िया ने कहा कि कैशलेस सोसाइटी लाने से पहले गांव की इकोनॉमी को बेहतर करना होगा.
इसके पूर्व लीड्स के निदेशक एके सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि यूनियन बजट में पिछले पांच वर्षों से सिविल सोसाइटी के माध्यम से सुझाव देते रहे हैं. झारखंड में 2014 से स्टेट प्री बजट कंसलटेशन का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड स्टेट बजट ग्रुप के द्वारा कई सुझाव दिये गये.
इस कार्यक्रम से भी आये सुझावों को सरकार को सौंपा जायेगा. कार्यक्रम में टीआरसीएससी के सचिव मानस, शिक्षक यूनियन के संजय कुमार सिंह,चाईबासा नगर निकाय की पूर्व अध्यक्ष गीता बलमुचु, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व सदस्य रंजना, दलित महासंघ के गणेश रवि,डॉ सुरंजन,लीडस की नेहा प्रसाद,जिला परिषद की सदस्य पावर्ती देवी, सर्ड की सहायक निदेशक मिनी रानी शर्मा,सेव द चिल्ड्रेन के स्टेट हेड महादेव हांसदा,सोशल अॉडिट सेल के राज्य समन्वयक गुरजीत सिंह,बीएयू के डॉ आरपी रतन, झारखंड मनरेगा वाच के जेम्स हेरेंज, झारखंड दिव्यांग संघ के विवेक कुमार सिंह, सिटीजन फाउंडेशन के निदेशक गणेश रेड्डी ने भी विचार रखे. शालिनी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
एक हेलीकॉप्टर से कहीं जाने में होनेवाले खर्च से बना सकता है एक कुआं : प्रो रमेश शरण
अर्थशास्त्री प्रो रमेश शरण ने कहा कि सरकार बहुत सारा खर्च अनावश्यक ही करती है. एक हेलीकॉप्टर से कहीं जाया जाता है, तो यह ध्यान रखना चाहिए कि इतनी राशि से एक कुआं बन जाता है. यदि गुमला जाना हो, तो सारे सचिव अलग-अलग गाड़ी से क्यों जायेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार कर्जा लेकर काम करती है, जिसमें ब्याज की दर ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि सरकार डेड एसेट के पुन: उपयोग की योजना बनाये. इसके लिए एक टास्क फोर्स बना कर सर्वे कराया जाये, ताकि कम खर्च में इनका दोबारा इस्तेमाल हो सके.
प्रत्येक पंचायत में हों तकनीकी विशेषज्ञ : प्रेमचंद
यूनिसेफ के प्रेमचंद ने कहा कि राज्य सरकार को इस वर्ष के बजट में जल और स्वच्छता पर विशेष प्रावधान रखना चाहिए. जल सहिया के लिए प्रमंडल स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र बने. प्रत्येक पंचायत में जेई या तकनीकी विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाये. विद्यालयों में बने शौचालयों की सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए. स्कूलों में हैंडवाॅश यूनिट लगायी जाये.