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प्लेसमेंट एजेंसी बिल का विरोध राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन

रांची: विभिन्न महिला संगठनों की प्रतिनिधियों ने गुरुवार को राजभवन में जाकर राज्यपाल द्रौपदी मुरमू को ज्ञापन सौंपा. महिलाअों ने गत दिनों राज्य सरकार द्वारा पारित झारखंड स्टेट प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज (रेगुलेशन) बिल 2016 का विरोध किया है. प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिला आयोग की पूर्व सदस्य वासवी किड़ो, भारतीय घरेलू कामगार संघ की मंजू मीना, […]

रांची: विभिन्न महिला संगठनों की प्रतिनिधियों ने गुरुवार को राजभवन में जाकर राज्यपाल द्रौपदी मुरमू को ज्ञापन सौंपा. महिलाअों ने गत दिनों राज्य सरकार द्वारा पारित झारखंड स्टेट प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज (रेगुलेशन) बिल 2016 का विरोध किया है. प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिला आयोग की पूर्व सदस्य वासवी किड़ो, भारतीय घरेलू कामगार संघ की मंजू मीना, आदिवासी वीमेंस विंग की बरखा लकड़ा, नावो की आलोका कुजूर अौर एलिसा ने कहा कि हर साल झारखंड से बड़ी संख्या में आदिवासी बालिकाएं अौर महिलाएं ट्रैफिकिंग की शिकार होती हैं.

इन्हें दिल्ली अौर अन्य महानगरों में काम के लिए ले जाकर बेच देने की घटनाएं होती हैं. इस दौरान इनका शारीरिक अौर मानसिक शोषण होता है. वासवी किड़ो ने कहा कि हमलोग प्लेसमेंट एजेंसियों पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे थे. पर बिल से इन प्लेसमेंट एजेंसियों को रेगुलराइज कर दिया जा रहा है. इससे आदिवासी बालिकाअों के बाहर ले जाने की घटनाअों में अौर वृद्धि होगी.

10 लाख आदिवासी लड़कियां व महिलाएं है घरेलू कामगार : प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि घरेलू कामकार का मामला झारखंड में गंभीर विषय बनता जा रहा है. लगभग 10 लाख आदिवासी लड़कियां व महिलाएं देश के विभिन्न राज्यों में घरेलू कामगार के रूप में कार्य कर रही हैं. दिल्ली में ही लगभग पांच लाख आदिवासी लड़कियां व महिलाएं घरेलू कामगार के रूप में कार्य कर रही हैं. इन लड़कियों व महिलाअों को प्लेसमेंट एजेंसी या दलाल किस्म के लोग अच्छा पैसा कमाने की लालच दे कर ले जाते हैं.

इनमें से कई एजेंसियां रजिस्टर्ड या बिना रजिस्टर्ड होती हैं. आज भी कई अादिवासी लड़कियां/महिलाअों को कोई अता-पता नहीं है. कई अपने घर लौटना चाहती हैं, लेकिन लौट नहीं पा रही हैं. यहां से गयीं लड़कियां व महिलाएं शरीर की परवाह किये बिना 15 से 16 घंटा काम करती हैं. कितनी लड़कियों व महिलाएं शारीरिक शोषण का शिकार हो रही हैं. सरकार द्वारा इस बिल को पास किये जाने से समस्या अौर बढ़ सकती हैं. इसलिए इस बिल को रोकना आवश्यक है.

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