रांचीL: विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर राज्य सरकार फिलहाल विस्थापन आयोग का गठन नहीं करेगी. इसको लेकर सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव भी तैयार नहीं किया गया है. सरकार ने विस्थापितों की समस्याओं का निबटारा जिला न्यायाधीश के माध्यम से करने का प्रावधान किया है. इसको लेकर सरकार की ओर से हाइकोर्ट […]
रांचीL: विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर राज्य सरकार फिलहाल विस्थापन आयोग का गठन नहीं करेगी. इसको लेकर सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव भी तैयार नहीं किया गया है. सरकार ने विस्थापितों की समस्याओं का निबटारा जिला न्यायाधीश के माध्यम से करने का प्रावधान किया है. इसको लेकर सरकार की ओर से हाइकोर्ट के पास प्रस्ताव भेजा गया है.
जिला न्यायाधीशों को प्राधिकार के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत करने का आग्रह किया गया है. सरकार ने कहा है कि भूमि अर्जन, प्रतिकर, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन से संबंधित विवादों के शीघ्र निपटारा के लिए नये भू अर्जन अधिनियम की धारा-51 में भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकार की स्थापना करने का प्रावधान है.
सरकार द्वारा गठित नियमावली के नियम-35 में प्राधिकार की स्थापना होने तक उच्च न्यायालय की सहमति से जिला न्यायाधीशों के न्यायालय को प्राधिकार के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत किया जा सकता है. सरकार ने यह जवाब भाजपा विधायक बिरंची नारायण द्वारा विधानसभा में पूछे गये सवाल के जवाब में दिया है.
बिरंची नारायण से पूछा था कि क्या सरकार विस्थापितों के समस्याओं के सम्यक निदान के लिए विस्थापन आयोग बनाने का विचार रखती है? हां तो कब तक, नहीं तो क्यों? एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार की ओर से कहा गया है कि भूमि अर्जन अधिनियम 1894 के अधीन प्रारंभ की गयी भूमि अर्जन की वैसी कार्यवाही, जिसमें कोई एवार्ड नहीं किया गया है अथवा अधिकांश रैयतों को मुआवजा का भुगतान नहीं हुआ है, तो वैसी परिस्थिति में नये अधिनियम के तहत मुआवजा एवं पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन का लाभ देय होगा.