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आटा, सूजी और मैदा के दाम में बढोतरी

रांची : देश व्यापी गेहूं की किल्लत का असर रांची में भी दिखने लगा है. गेहूं के अस्थायी शाॅर्टेज से इससे निर्मित सभी खाद्यान्न वस्तुएं की कीमतें बढ़ गयी हैं. व्यापारियों की मानें तो यह किल्लत नोटबंदी की वजह से हुई है. पंडरा के थोक व्यापारियों का कहना है कि रांची में मध्यप्रदेश के ग्वालियर […]

रांची : देश व्यापी गेहूं की किल्लत का असर रांची में भी दिखने लगा है. गेहूं के अस्थायी शाॅर्टेज से इससे निर्मित सभी खाद्यान्न वस्तुएं की कीमतें बढ़ गयी हैं. व्यापारियों की मानें तो यह किल्लत नोटबंदी की वजह से हुई है. पंडरा के थोक व्यापारियों का कहना है कि रांची में मध्यप्रदेश के ग्वालियर से गेहूं की खेप पहुंचती है. प्रतिदिन 10 से 12 टन गेहूं रांची पहुंच रहा है.
बाजार में गेहूं की कोई कमी नहीं है. यहां गोल्डेन गेहूं और मिल वाला गेहूं पहुंचता है. थोक बाजार में गेहूं की क्वालिटी के आधार पर 2300 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 26 सौ रुपये तक मिल रहा है. पर खुदरा दुकानदारों के पास पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमतें तीन से चार रुपये तक बढ़ जा रही है. गेहूं की किल्लत की वजह से पैकेट आटा और लूज आटे की कीमतें भी तीन से चार रुपये प्रति किलो तक बढ़ गयी है.
महंगाई की स्थिति बनी रहेगी : व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि नयी फसल के आने तक गेहूं की दर महंगी ही रहेगी. इससे आम लोगों को किसी तरह की कोई राहत फिलहाल नहीं मिलनेवाली है. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 1525 रुपये तय किया गया था, उससे भी अधिक दर पर गेहूं आटा मिलों तक पहुंच रही है.

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