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जीव-जंतुओं के जीने लायक नहीं हैं जलस्त्रोत
राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने अध्ययन के बाद जारी किये आंकड़े, हालात चिंताजनक मनोज सिंह रांची : राज्य के कई प्रमुख जल स्त्रोत जीव-जंतुओं के जीने लायक नहीं हैं. यहां के जल स्त्रोतों की अम्लीयता और क्षारियता (पीएच) तो सामान्य के करीब है, लेकिन इनमें ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से बहुत कम है. इसी साल […]
राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने अध्ययन के बाद जारी किये आंकड़े, हालात चिंताजनक
मनोज सिंह
रांची : राज्य के कई प्रमुख जल स्त्रोत जीव-जंतुओं के जीने लायक नहीं हैं. यहां के जल स्त्रोतों की अम्लीयता और क्षारियता (पीएच) तो सामान्य के करीब है, लेकिन इनमें ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से बहुत कम है.
इसी साल जून से अगस्त के बीच राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य के प्रमुख जल स्त्रोतों का अध्ययन कराया. इसमें पाया गया कि जल में जितनी ऑक्सीजन की मात्रा होनी चाहिए थी, वह नहीं है. इसमें ज्यादतर नदियां या जल स्त्रोत उद्योग वाले इलाके के हैं. जमशेदपुर में मानगो के पास स्वर्णरेखा नदी में बोर्ड ने 3.2 मिली ग्राम प्रति लीटर बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) पाया, जो सामान्य से अधिक है. सामान्यत: किसी भी नदी या जल स्त्रोतों में जीव जंतुओं के जीने के लिए तीन मिलीग्राम से कम बायोकेमिकल होना चाहिए. नदियों में स्वर्णरेखा नदी की स्थिति टाटीसिलवे के पास खराब पायी गयी. यहां बीओडी मात्रा 3.4 मिली ग्राम प्रतिलीटर पायी गयी.
पेयजल स्रोतों में कांके डैम की स्थिति खराब : पेयजल स्रोतों में से एक कांके डैम में भी बीओडी की स्थिति ठीक नहीं है. यहां का बीओडी 3.2 पाया गया, जबकि रुक्का डैम का बीओडी 2.7 तथा हटिया डैम का 2.3 पाया गया है. सरायकेला के खरकई स्थित चांडिल डैम में बीओडी की मात्रा 0.4 मिली ग्राम प्रतिलीटर पायी गयी थी. कांके डैम में पीएच की मात्रा भी सामान्य के करीब ही थी. यहां पीएच 6.7 पाया गया, जबकि सामान्य रेंज 6.5 से 8.5 है.
पानी में बीओडी के अधिक होने से नुकसान : बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) जितनी ज्यादा होता है, पानी से ऑक्सीजन उतनी तेजी से खत्म होती है. इससे पानी में पनपने वाले पौधे और उसमें रहने वाले जीवों पर उतना ही खराब असर पड़ेगा. क्योंकि, उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इसके अलावा आसपास के वातावरण पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है.
अधिक बीओडी वाला पानी दूषित होने लगता है. इसका उपयोग नुकसानदेह हो सकता है. इस पानी के संपर्क में आने से इंसान को चर्म रोग होते हैं. इसके अलावा हवा भी दूषित होती है, जिससे सांस की बीमारियां पनपती हैं.
सचेत होने की जरूरत
जल स्रोतों में सामान्य से अधिक पायी गयी है बीओडी की मात्रा
उद्योग वाले इलाकाें में स्थित हैं ज्यादतर नदियां या जल स्त्रोत
हाल दो बड़े शहरों का
जमशेदपुर में स्वर्णरेखा नदी में बीओडी की मात्रा 3.2 मिली ग्राम प्रति लीटर
कांके डैम के पानी में भी 3.2 मिली ग्राम प्रति लीटर है बीओडी की मात्रा
पानी में पीएच, बीओडी आैर डीओ का सामान्य होना जरूरी है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य की कई नदियों और जल स्रोतों का अध्ययन किया है, जिसमें डीओ और बीओडी की मात्रा असामान्य या उसके करीब है. इससे जल स्रोतों प्रदूषित हो रहे हैं, जो चिंता की बात है.
एके सिन्हा, पर्षद पर्यावरणविद
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