उन्होंने इस दौरान सोशल इंजीनियरिंग पर भी चर्चा की. कहा कि परिश्रम परिणाम को जन्म देता है, इसलिए हर स्तर पर अधिक से अधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है. उन्होंने छोटानागपुर लॉ कॉलेज के छात्र होने पर खुद को गौरवान्वित बताते हुए कहा कि संस्थान के शिक्षक व छात्र ही उसकी सही पहचान होते हैं. छात्र परिश्रम करें तो वे संस्था ही नहीं, समाज के अच्छे सेवक व सुधारक बन सकेंगे. सेमिनार के मुख्य वक्ता गढ़वाल विवि के डीन प्रो सुभाषचंद्र गुप्ता ने कहा कि संविधान के अनुसार किसी भी देश की सरकार का प्राथमिक कर्तव्य उसकी जनता को समृद्ध एवं संसाधनयुक्त बनाना होता है. सरकार की जो योजनाएं देश में चल रहीं हैं, अगर उनका अनुपालन सही तरीके से हो तो यह अधिक से अधिक जनसंख्या के लिए कल्याणकारी सिद्ध होंगी. प्रो गुप्ता ने सरकार की नीतियों की समीक्षा करते हुए उनकी वर्तमान स्थिति व लक्ष्यों पर भी चर्चा की.
सेमिनार में बतौर विशिष्ट अतिथि निफ्ट ,रांची के निदेशक प्रो पीपी चट्टोपाध्याय ने कहा कि इंजीनियरिंग व कानून दोनों ही देश के निर्माण के लिए कार्य करते हैं. दोनों में सिर्फ इतना अंतर है कि इंजीनियर प्रौद्योगिकी के तहत कार्य करते हैं, जबकि कानून नीतियों के निर्धारण व निर्माण से कार्य करती है. समाज तभी विकसित व खुशहाल होगा जब लोगों का वास्तविक उत्थान हो, जिसमें सोशल इंजीनियरिंग का बहुत ही व्यापक योगदान है.
सेमिनार के अंतिम सत्र में झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद, विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के निदेशक डॉ केके शर्मा तथा रांची विवि के कुलपति प्रो रमेश पांडेय उपस्थित थे. सेमिनार में 11 राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया तथा इस दौरान 139 शोध पत्र प्रस्तुत किये.
इस दौरान वक्ताओं ने लॉ की शिक्षा में झारखंड में अग्रणी स्थान रखनेवाले छोटानागपुर लॉ काॅलेज में नेशनल सेमिनार को यहां के छात्रों के लिए प्रेरणादायक बताते हुए भविष्य में भी ऐसे अन्य आयोजनों की बात कही. मौके पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ राजकुमार वालिया, डाॅ पंकज कुमार चतुर्वेदी, डाॅ गांधी आनंद बिलुंग, साक्षी पाठक, प्रसेनजीत मुखर्जी, डाॅ हसनैन वारिस, लालसा मोहिनी, रोहन कश्यप सहित अन्य शिक्षक उपस्थित थे.