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मांग: हेमंत के नेतृत्व में राज्यपाल से मिले विपक्षी नेता, कहा टेनेंसी एक्ट के संशोधन विधेयक पर लगायें रोक
रांची: नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यपाल द्रौपदी मुरमू से मिल कर सीएनटी/एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है. शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्य अपराह्न में राजभवन पहुंचे अौर राज्यपाल को इससे संबंधित एक मांग पत्र भी सौंपा. मांग पत्र में कहा […]
रांची: नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यपाल द्रौपदी मुरमू से मिल कर सीएनटी/एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है. शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्य अपराह्न में राजभवन पहुंचे अौर राज्यपाल को इससे संबंधित एक मांग पत्र भी सौंपा.
मांग पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा लाये जा रहे सीएनटी/एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक को लेकर राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है. इस मामले को लेकर जगह-जगह समाज के आमजनों द्वारा सड़क से सदन तक विरोध किया जा रहा है. सरकार इस संशोधन को करने के लिए इतनी उतावली है कि वह आदिवासियों/मूलवासियों को यह कह कर गुमराह कर रही है कि इस संशोधन के बाद भी आदिवासी/मूलवासी का जमीन पर मालिकाना हक खत्म नहीं होगा. सरकार का यह तर्क गलत है. क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा कई मामलों में निर्णय दिया गया है कि सीएनटी एक्ट 1908 के द्वारा धारा 46, 48 अौर 71 (क) में जो सुरक्षा प्राप्त है, वह गैर कृषि जमीन पर लागू नहीं होगा.
राज्य में कृषि भूमि को परिभाषित एवं संरक्षित करने के लिए प्रभावी है एक्ट : हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से कहा कि झारखंड राज्य संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध है. साथ ही सीएनटी/एसपीटी एक्ट की नौवीं अनुसूची में क्रमश: क्रम संख्या 209 अौर 210 में उल्लेखित है. सीएनटी/एसपीटी एक्ट राज्य में कृषि भूमि को परिभाषित एवं संरक्षित करने के लिए प्रभावी है. बताया गया कि गैर कृषि कार्य के लिए राज्य में मौजूदा समय में किसी भी प्रकार की काश्तकारी अधिनियम अधिनियमित नहीं है. सरकार के इस संशोधन से सीएनटी/एसपीटी एक्ट से सुरक्षित कृषि योग्य भूमि, गैर कृषि योग्य भूमि होते ही असुरक्षित हो जायेगी. संविधान के अनुच्छेद 31 (ख) के प्रावधान के अनुसार विधान मंडल को नौंवीं अनुसूची में सूचिबद्ध अधिनियमों को हटाने व संशोधित करने का अधिकार प्राप्त नहीं है. भारतीय संघीय क्षेत्र के संबंध में कानून निर्माण करने की शक्ति अौर इन क्षेत्रों का प्रशासन राष्ट्रपति अपने द्वारा नियुक्त अधिकारियों की सहायता से करते हैं. श्री सोरेन ने राज्यपाल से मांग की कि भारत के संवैधानिक एवं संघीय व्यवस्था के विरूद्ध राज्य के काश्तकारी अधिनियमों की धाराअों में संशोधन के लिए विधेयक लाने के प्रयास पर अविलंब हस्तक्षेप करते हुए रोक लगायी जाये.
ये पहुंचे थे राज्यपाल से मिलने : राज्यपाल से मिलनेवालों में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन के अलावा विधायक चंपई सोरेन, स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, जगरनाथ महतो, रवींद्र नाथ महतो, सीता सोरेन, दीपक विरूआ, जोबा मांझी, योगेंद्र महतो, निरल पूर्ति, कुणाल षाड़ंगी, डॉ अनिल मुरमू, दशरथ गगराई, शशि भूषण सामद, अमित महतो, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक सुखदेव भगत, विधायक दल के नेता आमलगीर आलम झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव शामिल थे.
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