मौके पर खुले मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए. नंदलाल नायक की टीम ने वीर रस पर आधारित मर्दानी झूमर की प्रस्तुति की. वहीं अजय मलकानी के युवा रंगमंच के सदस्यों ने नाटक उलगुलान का अंत नहीं की प्रस्तुति दी. रूम्बुल की टीम ने भी नृत्य का प्रदर्शन किया.
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बिरसा की सबसे ऊंची प्रतिमा का होगा निर्माण
रांची: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलीहातू (खूंटी) में यह ऐतिहासिक क्षण था. भगवान बिरसा की जयंती (15 नवंबर) पर उलीहातू में संथाल हूल के नायकों सिदो-कान्हू के वंशजों का स्वागत हुआ. बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा ने सिदो-कान्हू के वंशज बिटिया मुरमू, परपोता मंडल मुरमू सहित अन्य का स्वागत किया. इस […]
रांची: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलीहातू (खूंटी) में यह ऐतिहासिक क्षण था. भगवान बिरसा की जयंती (15 नवंबर) पर उलीहातू में संथाल हूल के नायकों सिदो-कान्हू के वंशजों का स्वागत हुआ. बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा ने सिदो-कान्हू के वंशज बिटिया मुरमू, परपोता मंडल मुरमू सहित अन्य का स्वागत किया. इस अवसर पर उलीहातू में आज जन पंचायत में प्रस्ताव पारित किया गया कि धरती आबा बिरसा मुंडा की देश में सबसे ऊंची प्रतिमा (150 फीट ऊंची) स्थापित की जायेगी. यह मूर्ति स्टेच्यू ऑफ उलगुलान के नाम से जानी जायेगी. बुंडू के एदलहातू निवासी रामदुर्लभ सिंह मुंडा ने इसके लिए जमीन देने की घोषणा की.
जमीन बचाने के लिए संघर्ष करने का लिया संकल्प
इसके अलावा जन पंचायत में यह भी कहा गया कि बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, चांद भैरव, नीलांबर पीतांबर, शहीद शेख भिखारी सहित झारखंड के अन्य स्वतंत्रता सेनानी को आधिकारिक रूप से शहीद अौर स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलाने का प्रयास होगा. इससे देश के लोग भगवान बिरसा, सिदो-कान्हू अौर अन्य शहीदों को जानेंगे. कार्यक्रम में सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ मिल कर संघर्ष करने पर भी सहमति बनी.
शोभायात्रा की शक्ल में भगवान बिरसा के घर पहुंचे
मंगलवार को दिन के लगभग डेढ़ बजे उलीहातू में सिदो-कान्हू के वंशज आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, विधायक विकास मुंडा सहित अन्य लोगों के साथ पहुंचे. सिदो-कान्हू के वंशजों में 34 लोग थे. इनका उलीहातू में पांव धुलाकर, माला पहनाकर नगाड़ों की थाप पर भव्य स्वागत किया गया. सभी लोग शोभायात्रा की शक्ल में सबसे पहले भगवान बिरसा के घर पहुंचे. वहां पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण हुआ. इसके बाद बिरसा मुंडा कांप्लेक्स में बने भगवान बिरसा की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण हुआ. इसके बाद सभी कांप्लेक्स के पास स्थित मैदान पहुंचे जहां पर एक बार फिर से सबका फूल-मालाअों से स्वागत हुआ. सुखराम मुंडा ने वस्त्र देकर सिदो-कान्हू के वंशजों को सम्मानित किया. जबकि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो व विधायक विकास मुंडा ने भगवान बिरसा के वंशजों को सम्मानित किया. इन दोनों महानायकों के मिलन के समय भावुक क्षण भी आये, जब सिदो-कान्हू के परपोता मंडल मुरमू ने बिरसा मुंडा के पोता सुखराम मुंडा के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया.
नाटक उलगुलान का अंत नहीं की प्रस्तुति
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