एटर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखा. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया कि डैम के निर्माण के लिए 20421.43 एकड़ जमीन अधिग्रहण की जरूरत है. भू-अर्जन व पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 राज्य में जनवरी 2014 से प्रभावी है. इस अधिनियम की धारा 41 में यह कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में जहां तक संभव हो जमीन का अधिग्रहण कम से कम करना है. अगर अधिग्रहण अति आवश्यक हो, तो ग्राम सभा या ग्राम पंचायत की सहमति के बाद ही जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा. प्रस्तावित डैम में आनेवाला डूब क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र में है. डैम के डूब क्षेत्र में 71 गांव आयेंगे.
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ठेका विवाद : सुप्रीम कोर्ट से जीत गयी सरकार
रांची: ईचा-खरकई डैम के मामले में शुरू हुई कानूनी जंग में राज्य सरकार की जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाइकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सिंगल टेंडर रद्द करने के सरकार के फैसले को गलत करार दिया गया था. एटर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट […]
रांची: ईचा-खरकई डैम के मामले में शुरू हुई कानूनी जंग में राज्य सरकार की जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाइकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सिंगल टेंडर रद्द करने के सरकार के फैसले को गलत करार दिया गया था.
डैम निर्माण के मुद्दे पर ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी)में चर्चा हुई थी. निर्माण पर विचार करने के लिए एक उप समिति का गठन किया गया था. समिति ने स्थल भ्रमण और ग्रामीणों से बातचीत के बाद टीएसी को अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है. इसमें डैम निर्माण के प्रस्ताव को रद्द करने की अनुशंसा की गयी है. सरकार का पक्ष सुनने के बाद सरकार ने हाइकोर्ट के उस फैसले के रद्द कर दिया, जिसमें डैम निर्माण के टेंडर को रद्द करने की सरकार की कार्रवाई को गलत करार दिया गया था.
क्या है मामला : राज्य सरकार ने स्वर्णरेखा बहुदेश्यीय परियोजना के तहत इचा-खरकई डैम के निर्माण के लिए 2014 में टेंडर निकाला था. डैम निर्माण की लागत करीब 800 करोड़ रुपये है. इसमें मेसर्स सीडब्ल्यूइ-सोमा, मेसर्स आइएल एंड एफएस और मेसर्स नवयुगा इंजीनियरिंग ने हिस्सा लिया था. प्री-बिड मिटिंग में सिर्फ मेसर्स सीडब्ल्यूइ-सोमा ने हिस्सा लिया. इसलिए टेंडर कमेटी ने टेंडर रद्द करते हुए नये सिरे से टेंडर निकालने का फैसला किया. मेसर्स सीडब्ल्यूइ-सोमा ने सरकार के इस फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी. हाइकोर्ट के सिंगल बेंच ने टेंडर रद्द करने के सरकार के फैसले को गलत करार दिया. इसके बाद सरकार ने डबल बेंच में अपील की. डबल बेंच ने भी सरकार के फैसले को गलत करार दिया. इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील(6125/2016) दायर की.
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