लोगों का कहना था कि वनभूमि अौर जंगल पर व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकार के लिए लोगों ने दावा किया था, पर आजीविका के लिए जितनी भूमि पर दावा किया गया था, उसके मुकाबले काफी कम जमीन दी जा रही है. मौके पर जॉर्ज मोनीपल्ली ने कहा कि वनभूमि पर पट्टा के लिए ग्राम सभा से अनुशंसा करा कर दावा किया गया था, पर वन विभाग ग्रामीणों को सिर्फ पांच या दस डिसमिल जमीन दे रहा है.
इतनी भूमि पर आजीविका संभव नहीं है. पूर्व विधायक नियेल तिर्की ने कहा कि जमीन हमें अपने पूर्वजों से मिली है अौर इस पर खूंटकट्टी अधिकार है. फादर स्टेन स्वामी ने कहा कि ग्राम सभा को अौर सशक्त बनाना होगा अौर जो निर्णय ग्राम सभा करेगी, वही अंतिम निर्णय होगा. ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि आज 197 ग्रामीणों ने अपना पट्टा वापस कर सरकार के समक्ष विरोध जता दिया है. हम इस मामले में अपना विरोध जारी रखेंगे. डॉ सुनीता, सुशील बारला, बनारसी सिंह, रोस खाखा सहित अन्य लोगों ने भी विचार रखे.