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मनरेगा लाभुकों ने सिंचाई कूप के शिलापट्ट पर लिखी कमीशन की दर

गिरिडीह : बेंगाबाद प्रखंड की मधवा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत बनाये जा रहे सिंचाई कूप में 38 प्रतिशत तक कमीशनखोरी की बात सामने आयी है. परेशान लाभुकों ने योजना पट्ट में कमीशनखोरी का उल्लेख कर दिया है. लाभुक जमीन और जेवर बंधक रख कर कमीशन भुगतान करने को विवश हैं. किसे कितना प्रतिशत […]

गिरिडीह : बेंगाबाद प्रखंड की मधवा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत बनाये जा रहे सिंचाई कूप में 38 प्रतिशत तक कमीशनखोरी की बात सामने आयी है. परेशान लाभुकों ने योजना पट्ट में कमीशनखोरी का उल्लेख कर दिया है. लाभुक जमीन और जेवर बंधक रख कर कमीशन भुगतान करने को विवश हैं.
किसे कितना प्रतिशत कमीशन : मधवा पंचायत के मिरगाटांड़ और बरियारपुर में सिंचाई कूप निर्माण में लगाये गये सूचना पट्ट में लाभुकों ने इस बात का उल्लेख किया है कि योजना निर्माण की राशि में मुखिया 10 प्रतिशत, पंचायत सेवक 10 प्रतिशत, बीडीओ छह प्रतिशत, बीपीओ पांच प्रतिशत, रोजगार सेवक पांच प्रतिशत व कंप्यूटर ऑपरेटर की ओर से प्रति मास्टर रोल 200 रुपये की उगाही कमीशन के रूप में की जाती है.

आरोप निराधार, योजना से कोई लेना-देना नहीं : बीडीओ
बेंगाबाद के बीडीओ मो असलम को जब योजना पट्ट में कमीशनखोरी के उल्लेख की जानकारी दी गयी, तो उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है. आरोप निराधार है. उन्हें पंचायत की योजनाओं से कोई लेना-देना नहीं. पंचायत की योजनाओं का भुगतान पंचायत सचिवालय से ही होता है. बीडीओ ने कहा कि 25 दिन पहले ही उन्होंने इस आशय का आदेश जारी किया है कि पंचायत के सभी काम पंचायत सचिवालय से ही होगा. कमीशनखोरी के बाबत उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करायेंगे.
जांच के लिए बनेगी कमेटी : डीडीसी
मनरेगा के उपाध्यक्ष सह डीडीसी वीरेंद्र भूषण ने कहा कि यदि किसी स्तर पर कमीशन की मांग की जा रही थी, तो लाभुकों को उनके पास शिकायत करनी चाहिए थी. सिर्फ सुदूरवर्ती गांव में बोर्ड टांग देने से काम नहीं हो जाता. यदि कमीशनखोरी हुई है, तो इसके लिए जांच कमेटी गठित की जायेगी. मामले में कोई भी दोषी पाया गया, तो प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी.
कमीशन नहीं देने पर भुगतान में आनाकानी
27 – बेंगाबाद की मधवा पंचायत के बरियारपुर के किशोरी साव का निर्माणाधीन सिंचाई कूप मनरेगा की सिंचाई कूप निर्माण की योजनाओं में जब तक कमीशन नहीं मिल जाता, तब तक लाभुकों को भुगतान राशि देने में आनाकानी की जाती है. लाभुक प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं और अंतत: उन्हें कमीशन भुगतान करना पड़ता है. यह कहना है बेंगाबाद की मधवा पंचायत के मिरगाटांड़ निवासी लाभुक मो असरार अहमद का. वह कहते हैं कि पांच बार मास्टर रोल बना कर राशि भुगतान के लिए दिया गया, लेकिन कमीशन के बिना भुगतान नहीं किया गया. लाभुक किशोरी साव कहते हैं कि जब कंप्यूटर ऑपरेटर को पैसा नहीं देते हैं तो लिंक फेल होने का बहाना बनाकर भुगतान में टाल-मटोल करता रहता है. इतना ही नहीं, 15 दिनों बाद मास्टर रोल डिलिट कर कह देता है कि जीरो हो गया. ऐसे में नये सिरे से पुन: मास्टर रोल बनवाना पड़ता है और इसके लिए फिर से अवैध राशि की भुगतान करनी पड़ती है.
मुकदमा में फंसाने की दी जाती है धमकी : लाभुक
चित्र परिचय : 29 – लाभुक असरार अहमद
मधवा पंचायत के मिरगाटांड़ के लाभुक मो असरार अहमद को मनरेगा के तहत सिंचाई कूप निर्माण की योजना दी गयी है. इस योजना की संख्या 54/91 और प्राक्कलित राशि 3,59,075 रुपये है. लाभुक मो असरार अहमद कहते हैं कि जब ऊपर तक शिकायत करने की बात करते हैं, तो मुकदमा में फंसा देने की धमकी दी जाती है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे कमीशन का भुगतान होता है, वैसे-वैसे कूप निर्माण के लिए राशि दी जाती है. फाइनल एमबी के लिए साढ़े दस हजार रुपये की मांग की जा रही है. निर्माण हो जाने के बाद भी भुगतान का मामला एक माह से लटका दिया गया है. प्रखंड के वेंडर के माध्यम से राशि की वसूली की जाती है. वेंडर को ही बालू, ईंट, छड़ और छर्री (मेटेरियल) का भुगतान किया जाता है और वह कमीशन काट कर हमें भुगतान करता है. हम मेटेरियल खरीदते हैं किसी और से, पर रसीद वेंडर से ही लेने का सिस्टम बना दिया गया है. मो असरार कहते हैं कि उन्हें धान लगी जमीन बंधक रखना पड़ी. तब कमीशन का भुगतान कर पाये.
बॉक्स
लगता है कुएं में ही कूद कर जान दे दूं : किशोरी
चित्र परिचय : 28 – लाभुक किशोरी साव
मधवा पंचायत के बरियारपुर गांव के किशोरी साव सरकारी योजना लेने के बाद भी परेशान हैं. इन्होंने भी मनरेगा योजना 2005 के तहत सिंचाई कूप निर्माण की योजना ली है. इस योजना की संख्या 4276 और प्राक्कलित राशि 3,56,000 रुपये है. लाभुक किशोरी कहते हैं कि वह तीन वर्षों से परेशान हैं. उन्होंने तीन खेत को बंधक रखकर 15 हजार रुपये का कर्ज लिया और कमीशन का भुगतान किया है. इस खेत से प्रत्येक वर्ष दस-बारह मन धान होता था. तीन वर्षों से उन्हें यह धान नसीब नहीं हो सका. कर्ज के सूद में यह फसल कर्ज देनेवाले की हो जाती है. किशोरी इन दिनों मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कमीशन की पूरी राशि जब वे इंतजाम नहीं कर पाये तो उन्होंने गहना, जेवर बंधक रखकर पांच प्रतिशत ब्याज पर छह हजार रुपये कर्ज लिये. वे कहते हैं कि यदि कमीशन वसूली की बात उन्हें पहले बता दी जाती तो वे किसी भी स्थिति में कुआं नहीं लेते. अब भुगतान के लिए उन्हें प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कमीशनखोरी से वे तंग आ गये हैं. कहते हैं कि लगता है कि इसी कुएं में कूद कर जान दे दूं.

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