रांची: लोहरदगा जिले के सेन्हा स्थित अरु गांव निवासी प्रदीप उरांव को भी ठगा गया. उन्हें भी पटवन सामग्री दी गयी है. पटवन के लिए स्प्रिंक्लर सहित पाइप दिये गये हैं. सारे सामान घर पहुंचा दिये गये, लेकिन ये सामान यूं ही बेकार पड़े हुए हैं. इसे चालू नहीं किया गया.
यानी एक डिसमिल जमीन में भी इससे पटवन नहीं हुआ. पटवन संयंत्र देने के बाद इसे चालू करने या इसकी हालत देखने कोई नहीं आया. सभी सामान प्रदीप उरांव के घर में पड़े हुए हैं. ये सामान कब चालू किये जायेंगे, यह भी बतानेवाला कोई नहीं है.
प्रदीप उरांव बेरोजगार हैं. इनके पास इतनी खेती-बारी भी नहीं है कि वह अपना भरण-पोषण कर सकें. ऊपर से पटवन सामग्री के खेल के भी शिकार हो गये. सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का भी लाभ उन्हें नहीं मिला. नतीजतन उन्हें गांव छोड़ना पड़ा. वह घर/गांव छोड़ कर काम की तलाश में तमिलनाडु चले गये.
नहीं मिल रहा है पासबुक: प्रदीप के घर में उनका पासबुक नहीं मिल रहा है. यह पता नहीं चल रहा है कि उनके नाम पर कितनी राशि की निकासी हुई है. प्रदीप के पिता बंदे उरांव कहते हैं : लोग आये और ठेप्पा लगवा कर चले गये. इसके बदले में सामान दिये, पर सामान कितने रुपये के हैं, यह उन्हें पता नहीं. कितना पैसा निकला और कितने के सामान मिलने थे, इसका भी कोई हिसाब-किताब नहीं है. पिता बंदे उरांव के पास थोड़ी सी जमीन है, जिसका पटवन वह आज भी परंपरागत तरीके से कर रहे हैं. कुआं व अन्य स्रोत से पानी लेकर फसल पटा रहे हैं. रोज सारे सामान देखते हैं और आपूर्ति करनेवालों को कोसते हैं.
मंगलेश्वर उरांव के घर भी पड़ी है मशीन
इसी गांव के मंगलेश्वर उरांव के घर भी सभी सामान पड़े हुए हैं. कहां से और किस योजना के तहत उन्हें पटवन सामग्री मिली है, यह उन्हें नहीं पता है. पैसा कितना निकला, कहां गया, यह भी नहीं जानते. आसपास के गांव के 8-10 किसान भी शिकार हुए हैं.